13,000 से अधिक मृतक खा रहे थे सरकारी राशन, ई-केवाईसी से हुआ बड़ा खुलासा” पढ़िए पूरी रिपोर्ट।

अलका सिंह/ सवांददाता
ख़बर पड़ताल। सरकारी सिस्टम की बड़ी लापरवाही और भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हुआ है। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, जिले में 13,000 से ज्यादा मृतक वर्षों से मुफ्त राशन का लाभ उठा रहे थे। यह चौंकाने वाला खुलासा तब हुआ जब शासन के निर्देश पर सभी राशन कार्ड धारकों का ई-केवाईसी (e-KYC) कराना अनिवार्य किया गया।
जैसे ही ई-केवाईसी की प्रक्रिया शुरू हुई, राशन कार्ड मैनेजमेंट सिस्टम ने एक के बाद एक ऐसे नाम उजागर किए, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन सरकारी राशन की सूची में अब तक जीवित माने जा रहे थे। शासन द्वारा चलाई जा रही मुफ्त राशन योजना, जो कि कोविड-19 महामारी के बाद से देशभर में लागू है, का लाभ इन मृतकों के नाम पर लगातार उठाया जा रहा था।
शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में सामने आया मामला
गाजीपुर जिले के राशन कार्ड मैनेजमेंट सिस्टम के अनुसार अब तक कुल 13,294 मृतकों के नाम राशन कार्ड की सूची से हटाए जा चुके हैं। इनमें शहरी क्षेत्र से 436 और ग्रामीण क्षेत्र से 12,858 लाभार्थियों के नाम शामिल हैं। ये वे लोग हैं जिनकी मृत्यु हो चुकी है, फिर भी उनके नाम से राशन कार्ड पर राशन उठाया जा रहा था।
कैसे हुआ खुलासा?
ई-केवाईसी की प्रक्रिया के तहत प्रत्येक लाभार्थी को अपने आधार नंबर और बायोमेट्रिक पहचान के जरिए सत्यापन कराना था। इस प्रक्रिया के दौरान बड़ी संख्या में ऐसे नामों की पहचान हुई जिनकी मृत्यु हो चुकी थी। कई मामलों में परिवार के सदस्य जानबूझकर मृतकों के नाम पर राशन उठाते रहे, जबकि कुछ में विभागीय लापरवाही भी सामने आई।
सरकार ने पहले ई-केवाईसी की अंतिम तिथि 31 मार्च 2025 तय की थी, लेकिन तकनीकी दिक्कतों और लंबी कतारों के कारण अब इस तारीख को बढ़ाकर 30 जून 2025 कर दिया गया है, ताकि शेष लाभार्थी भी सत्यापन करा सकें।
मृतकों के नाम हटाने की प्रक्रिया जारी
राशन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक अभी भी सत्यापन की प्रक्रिया जारी है। यह अनुमान है कि आगे और भी ऐसे नाम सामने आ सकते हैं, जो या तो मृतक हैं या अपात्र हैं। विभाग अब हर राशन कार्ड यूनिट की गहन जांच कर रहा है ताकि किसी भी फर्जी लाभार्थी को योजना का लाभ न मिल सके।
क्या कहता है प्रशासन?
जिला आपूर्ति अधिकारी का कहना है कि,
> “शासन के निर्देश पर यह कार्य पूरी पारदर्शिता के साथ किया जा रहा है। हमने अब तक 13 हजार से ज्यादा मृतक लाभार्थियों के नाम सूची से हटा दिए हैं और यह प्रक्रिया आगे भी चलती रहेगी। किसी भी अपात्र व्यक्ति को सरकारी लाभ नहीं मिलने दिया जाएगा।”
क्या हो सकती है सख्त कार्रवाई?
अब सवाल यह भी उठता है कि जो लोग जानबूझकर मृतकों के नाम पर राशन ले रहे थे, क्या उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई होगी? प्रशासन ने संकेत दिए हैं कि जांच पूरी होने के बाद ऐसे लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा सकती है और उनसे वसूली भी की जा सकती है।
निष्कर्ष
यह मामला न केवल गाजीपुर जिले के लिए, बल्कि पूरे प्रदेश और देश के लिए एक चेतावनी है कि सरकारी योजनाओं का लाभ किस तरह फर्जीवाड़े की भेंट चढ़ रहा है। सरकार को ई-केवाईसी जैसी तकनीकी प्रक्रियाओं के जरिए पारदर्शिता लाने का प्रयास और तेज़ करना होगा, ताकि ज़रूरतमंदों तक ही योजनाओं का लाभ पहुंचे और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जा सके।