ख़बर पड़ताल ब्यूरो:- “उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है इस आदेश के अनुसार अब नैनीताल जेल से कैदियों को सितारगंज जेल शिफ्ट किया जाएगा, बता दें की मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी एवं न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।”
दरअसल नैनीताल हाईकोर्ट ने नैनीताल जेल में फैली अवस्थाओं व जेल के जर्जर भवन का स्वतः संज्ञान वाली जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद नैनीताल जेल से कैदियों को शीघ्र सितारगंज जेल में शिफ्ट करने को कहा है। साथ ही कोर्ट ने जेल प्रशासन से कहा है कि सितारगंज जेल में सजा काट चुके कैदियों को रिहा करने के लिए सरकार से अनुमति लेकर रिहा करें। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 10 अप्रैल की तिथि नियत की है, मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी एवं न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। कोर्ट की ओर से नियुक्त न्यायमित्र अधिवक्ता ने कोर्ट को अवगत कराया कि नैनीताल जेल के 40 कैदी एड्स के मरीज है। इन कैदियों के लिए अलग से रहने की व्यवस्था की जाए। सुनवाई पर आईजी जेल विमला गुंजियाल कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुई। उन्होंने कोर्ट से कहा कि इस जेल में सात बैरक है जिसकी क्षमता 71 कैदी रखने की है। जबकि वर्तमान में यहां क्षमता से कई अधिक कैदी रखे हुए है। जगह की कमी के कारण जेल का विस्तारीकरण नही हो पा रहा है। जेल के विस्तारीकरण करने के लिए उन्हें 10 एकड़ भूमि की आवश्यकता है, यह भूमि रामनगर में है। इस पर कोर्ट ने कहा कि सितारगंज जेल बड़ी जेल है जो 500 एकड़ भूमि पर बनी हुई है और इस जेल में कई सुविधाएं उपलब्ध हैं इसलिए इन कैदियों को वहां शिफ्ट किया जाए। पूर्व में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने नैनीताल जेल के निरीक्षण के दौरान पाया कि 1906 में बना जेल का भवन काफी पुराना हो चुका है जो जर्जर हालत में पहुंच चुका है। जेल में क्षमता से अधिक कैदियों को रखा गया है। जेल में बंद कैदियों के लिए मूलभूत सुविधाओं का अभाव है, जेल भवन मुख्य सड़क से काफी दूरी पर स्थित है। कैदियों के बीमार पड़ने पर उन्हें समय पर हॉस्पिटल पहुंचाने में दिक्कतें होती है। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि नैनीताल जेल भवन भूगर्भीय दृष्टि से भी संवेदनशील है। जो कभी भी भूस्खलन की जद में आ सकता है। जिसका उच्च न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लिया था।
रिपोर्ट:- साक्षी सक्सेना