राजीव चावला/ एडिटर।

ख़बर पड़ताल। रुद्रपुर समेत पूरे उधम सिंह नगर में जुए और आईपीएल सट्टेबाजी का जाल अब गरीब तबके तक सीमित नहीं रह गया है। हैरानी की बात यह है कि अब रुद्रपुर के नामचीन उद्योगपति घरानों के युवा भी इस दलदल में बुरी तरह फंसते जा रहे हैं। हालात ऐसे बन चुके हैं कि अब तक दर्जनों बड़े उद्योगपति परिवार अपने करोड़ों रुपये गंवा चुके हैं, और कई परिवारों की आर्थिक रीढ़ टूटने की कगार पर पहुंच गई है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, ये युवा पड़ोसी देश नेपाल में संचालित कसीनो में बड़े स्तर पर जुआ खेल रहे हैं। इन युवाओं को इस जुए के दलदल में धकेलने वाले कोई बाहरी लोग नहीं, बल्कि रुद्रपुर शहर के ही एजेंट हैं। ये एजेंट मोटे कमीशन के लालच में युवाओं को नेपाल के कसीनो तक पहुंचाते हैं और वहां उन्हें मुफ्त शराब, मुफ्त एंट्री और डांस पार्टी का लालच देकर अपने जाल में फंसाते हैं। इन कसीनो में रातोंरात अमीर बनने के सपने लेकर पहुंचे युवा कुछ ही दिनों में कंगाल हो जाते हैं।
कई घटनाओं में सामने आया है कि जब इन युवाओं के पास पैसे खत्म हो जाते हैं तो एजेन्ट खोरो के इशारों पर कसीनो प्रबंधन उन्हें उधार में भी रकम दे देता है ताकि उनकी लत बरकरार रहे। कर्ज में डूबते-डूबते कई युवा अवसाद में चले गए हैं और कुछ ने अपनी जान तक दे दी और कुछ ने पारिवारिक कारोबार तक दांव पर लगा दिए। कई उद्योगपति परिवारों में इस मुद्दे को लेकर तनाव और परिवार बिखराव की खबरें भी सामने आ रही हैं।
गौरतलब है कि चंपावत के निवर्तमान एसपी देवेंद्र पिंचा ने कुछ समय पहले भारत-नेपाल सीमा पर सख्ती बरतते हुए ₹25,000 से अधिक नकद राशि नेपाल ले जाने पर पाबंदी लगा दी थी। इसके अलावा बनबसा बॉर्डर पर पुलिस ने कई बार ऐसे वाहनों को भी सीज़ किया जो रुद्रपुर और आसपास के इलाकों से युवाओं को लेकर नेपाल जा रहे थे। पुलिस ने इन पर जुर्माना भी लगाया और चेतावनी दी।
फिर भी एजेंटों के नेटवर्क इतने मजबूत हैं कि वे नए-नए रास्ते और तरकीबें निकालकर युवाओं को नेपाल के कसीनो तक पहुंचा ही देते हैं। रुद्रपुर और काशीपुर के कई बड़े उद्योगपति परिवार अभी दबी जुबान में इस समस्या पर बोलने लगे हैं। उनका कहना है कि यदि समय रहते इस नेटवर्क को न तोड़ा गया तो आने वाले समय में स्थिति और भी भयावह हो सकती है।
एक उद्योगपति पिता ने बताया,
“मेरा बेटा पढ़ा-लिखा और समझदार था। हमें लगा था कि वह कारोबार को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा, लेकिन जुए और सट्टेबाजी ने सब कुछ तबाह कर दिया। हमने अपनी जिंदगी की पूरी जमा पूंजी उसके कर्ज उतारने में लगा दी। अब भी डर लगता है कि वह फिर से कहीं फंस न जाए।”
पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई के बावजूद यह पूरा गिरोह इतनी चालाकी से काम करता है कि पकड़ में नहीं आता। एजेंट अपने टारगेट युवाओं से पहले दोस्ती करते हैं, फिर धीरे-धीरे उन्हें जुए की तरफ धकेलते हैं।
समाजशास्त्रियों की चेतावनी
विशेषज्ञों का कहना है कि युवाओं में तेज़ी से बढ़ रही यह लत केवल आर्थिक बर्बादी नहीं बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव डाल रही है। नशा, अपराध और आत्महत्या जैसी घटनाओं का खतरा भी बढ़ रहा है।
मांग उठ रही है सख्त कार्रवाई की
रुद्रपुर के जागरूक नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने प्रशासन से अपील की है कि एजेंटों की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए। साथ ही युवाओं को इस दलदल से बाहर निकालने के लिए परामर्श केंद्र और जागरूकता अभियान चलाए जाएं।
कुल मिलाकर, यह समस्या अब केवल कानून-व्यवस्था तक सीमित नहीं रही बल्कि सामाजिक और आर्थिक आपदा का रूप लेती जा रही है। जरूरत है कि प्रशासन, समाज और परिवार सभी मिलकर इसे जड़ से खत्म करने की दिशा में ठोस कदम उठाएं।