Report- अनुज कुमार शर्मा
खटीमा तराई पूर्वी उप वन प्रभाग की सीमा से लगे हुए सीमांत ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ते हुए मानव वन्यजीव संघर्ष के मामलों को रोकने व जंगली हाथियों के झुंडों द्वारा ग्रामीणों की फसल को पहुंचाये जा रहे नुकसान को रोकने के लिए वन विभाग अब मधुमक्खियों की सहायता ले रहा है। तराई पूर्वी उपवन प्रभाग की प्रभागीय अधिकारी संचिता वर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि वन विभाग के द्वारा वन क्षेत्र से लगे सीमांत ग्रामीण आबादी क्षेत्रों को सुरक्षित रखने हेतु प्राकृतिक सुरक्षा ढाल के तौर पर बी हाई फेंसिंग का उपयोग किया जाना शुरू कर दिया गया है। जिसके अंतर्गत सीमांत क्षेत्रों में की गई तार बाढ़ के खभों पर मधुमक्खी के छाते स्थापित किए जाते हैं। इस योजना के अंतर्गत विभाग के द्वारा अंजनिया एवं नौगावानाथ ग्रामीण क्षेत्र से लगी वन सीमा पर बी हाई फेंसिंग की गई है। प्राकृतिक तौर पर ज्यादातर वन्य प्राणियों के साथ हाथी जैसे पड़े वन्य पशु भी मधुमक्खियों द्वारा उत्पन्न की जाने वाली तीव्र ध्वनि एवं उनके घातक हमले से भयभीत होते हैं। ऐसे में वह सीमा क्षेत्र में स्थापित की गई फेंसिंग को पार करने हेतु हिलाने की स्थिति में मधुमक्खियों के तीव्र हमले का शिकार हो वापस जंगल में भाग जाते हैं। इस कवायत के पीछे वन विभाग का मकसद एक और जहां मानव वन्य जीव संघर्ष के मामलों में कमी लाना है तो वहीं स्थानीय ग्रामीणों को मधुमक्खी पालन से प्राप्त होने वाले रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना भी है। साथ ही साथ वन विभाग के द्वारा सीमांत ग्रामीण क्षेत्रों में आमजन को जंगल से दूर रहने की हिदायत देने हेतु मुनादी भी लगातार करवाई जा रही है