“सांस फूलने की बीमारी कई कारणों से हो सकती है जिसमें एनीमिया,अस्थमा या क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज जैसी स्थितियां हो सकती हैं। सांस फूलने की बीमारी संक्रमण,सूजन,एलर्जी,डायबिटीज, दमा की बीमारी,सिगरे और प्रदूषण जैसे कई कारणों की वजह से भी हो सकती है..”
![](https://khabarpadtal.com/wp-content/uploads/2024/03/20x12-krishan-hospital-rudrapur_240405_213713.jpg)
जहरीली हवा का सबसे ज्यादा असर हमारे फेफड़ों पर होता है. प्रदूषण की वजह से कम उम्र में ही लोगों के फेफड़े कमजोर होने लगे हैं. अक्सर आपने देखा होगा कि सीढ़ियां चढ़ने के बाद कई लोगों की सांस फूल जाती है और कई मिनट तक उन्हें सांस लेने में काफी परेशानी होती है. दौड़ लगाने के बाद कुछ देर तक सांस फूलना नॉर्मल होता है, लेकिन अगर किसी को वॉक करने के बाद भी इस तरह की समस्या आए, तो गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है. अगर छोटे छोटे काम करने में आपकी सांस फूल जाती है, तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए. डॉक्टर से जानते हैं कि बार-बार सांस फूलना किस परेशानी का संकेत हो सकता है।
नई दिल्ली के साकेत स्थित डॉक्टर मंत्री रेस्पिरेटरी क्लीनिक के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. भगवान मंत्री के मुताबिक सीढ़ियां चढ़ने के बाद बुरी तरह सांस फूलना लंग्स डिजीज ही नहीं, बल्कि हार्ट डिजीज का संकेत भी हो सकता है. इसका पता लगाने के लिए पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट, चेस्ट एक्सरे या इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफी की जरूरत पड़ सकती है. अधिकतर लोगों को लगता है कि सांस फूलने की समस्या लंग्स से रिलेटेड होती है, लेकिन सभी मामलों में ऐसा नहीं होता है. अगर किसी व्यक्ति दौड़ने या सीढ़ियां चढ़ने के बाद सांस फूलने की शिकायत करे और कुछ सेकंड्स में यह परेशानी खत्म हो जाए, तो यह नॉर्मल माना जाता है. हालांकि दौड़ने या सीढ़ियां चढ़ने के बाद कई मिनट तक सांस फूलने लगे, तो जांच करानी चाहिए।
डॉ. भगवान मंत्री कहते हैं कि अगर सांस फूलने की समस्या लंग्स की वजह से है, तो यह अस्थमा, क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज या इंटरस्टिशियल लंग्स डिजीज का संकेत हो सकता है. इसका पता लगाने के लिए स्पाइरोमेट्री टेस्ट किया जाता है. इसमें कई साल पहले की लंग्स डिजीज का पता लगाया जा सकता है. सभी लोगों को साल या दो साल में यह टेस्ट जरूर करवाना चाहिए. इस टेस्ट की कीमत भी 500 से 1000 रुपये के बीच होती है. अगर आपको सांस फूलने की समस्या है, तो पल्मोनोलॉजिस्ट से मिलकर यह टेस्ट करवाना चाहिए।
एक्सपर्ट की मानें तो आज के जमाने में एयर क्वालिटी बेहद खराब हो चुकी है और अत्यधिक पॉल्यूशन की वजह से लोगों के फेफड़े कमजोर हो रहे हैं. इसकी वजह से कम उम्र में ही लोग लंग्स डिजीज का शिकार हो रहे हैं. कोविड के बाद भी लंग्स की परेशानियों के मामले में बढ़ोतरी देखने को मिली है. लंग्स की हेल्थ पर स्मोकिंग का भी बुरा असर पड़ता है. लंग्स डिजीज की कई वजह हो सकती हैं, जिनमें लाइफस्टाइल से लेकर पॉल्यूशन, स्मोकिंग समेत तमाम फैक्टर्स शामिल हैं. ऐसे में लोगों को हेल्दी डाइट लेनी चाहिए और पॉल्यूशन से बचने की हर कोशिश करनी चाहिए. अगर सांस लेने में किसी तरह की दिक्कत हो, तो डॉक्टर से मिलकर कंसल्ट करवाना चाहिए. अगर वक्त रहते बीमारी का पता चल जाएगा, तो उसे कंट्रोल करने में आसानी हो सकती है।