
ऊधमसिंह नगर: गरीबों को बांटा गया खराब चावल, सुंडी और कीड़े निकलने से मचा हड़कंप

राजीव चावला/ एडिटर
ख़बर पड़ताल। ऊधम सिंह नगर जनपद के किच्छा क्षेत्र से सरकारी व्यवस्था पर सवाल खड़े करने वाली बड़ी लापरवाही सामने आई है। यहां खुर्पिया फार्म स्थित सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान पर ग्रामीणों को जो चावल वितरित किया गया, उसमें सुंडियां और कीड़े निकले। गरीब जनता के हिस्से में खराब चावल जाने से न सिर्फ ग्रामीणों में रोष है, बल्कि सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न लग गए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना काल के दौरान गरीब जनता को राहत देने के लिए 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन योजना की शुरुआत की थी। तब से लगातार देशभर में राशन कार्डधारकों को गेहूं, चावल और अन्य खाद्यान्न सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों के माध्यम से दिया जा रहा है। लेकिन किच्छा क्षेत्र में जब लोगों को कीड़ों और सुंडियों से भरा चावल मिला तो लोगों का गुस्सा फूट पड़ा।
ग्रामीणों का आरोप – गरीबों को खिलाया जा रहा है जहर
ग्रामीणों का कहना है कि सस्ते गल्ले की दुकान से जो चावल उन्हें मिला, वह बिल्कुल खाने लायक नहीं था। कई लोग बिना देखे ही घर चावल ले गए, लेकिन जब बोरियां खोली गईं तो उनमें से दुर्गंध और कीड़े निकले।
पूनम देवी नाम की महिला ने बताया –
“हमें खराब चावल मिला, उसमें सुंडियां और कीड़े थे। गरीब लोग मजबूरी में यही चावल खाते हैं, लेकिन अब बच्चों और परिवार की सेहत पर खतरा मंडरा रहा है।”
वहीं संतोषी देवी ने सरकार और प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा –
“गरीबों को ही खराब राशन देकर परेशान किया जा रहा है। अधिकारी और बड़े लोग तो अच्छा खाना खाते हैं, लेकिन गरीबों को जहरनुमा चावल दिया जा रहा है।”
मौके पर पहुंचे खाद्य पूर्ति अधिकारी
ग्रामीणों का आक्रोश बढ़ता देख खाद्य पूर्ति अधिकारी भरत राणा मौके पर पहुंचे। उन्होंने तुरंत खराब चावल वापस लेने की कार्रवाई की।
भरत राणा ने कहा –
“हमें जानकारी मिली कि लोगों को खराब चावल बांटा गया है। मौके पर पहुंचकर चावल वापस लिया गया और मामले की जांच शुरू कर दी गई है। दोषी पाए जाने पर कार्रवाई होगी।”
लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि जिन लोगों ने अगले दिन खराब चावल लौटाने की कोशिश की, उनकी शिकायत नहीं सुनी गई और दुकानदार ने खराब चावल वापस लेने से इनकार कर दिया। इससे लोगों का गुस्सा और भड़क गया।
बड़ा सवाल – आखिर जिम्मेदार कौन?
अब बड़ा सवाल यह है कि गरीब जनता को ही खराब चावल क्यों दिया गया। क्या यह बड़ी लापरवाही का मामला है या फिर जानबूझकर किया गया खेल?
क्या खाद्य विभाग के अधिकारी समय-समय पर जांच नहीं कर रहे?
क्या गोदाम से ही खराब चावल जारी हुआ या दुकानदार की मनमानी है?
गरीबों की थाली में आखिर ऐसा राशन क्यों डाला जा रहा है, जो स्वास्थ्य के लिए खतरा साबित हो सकता है?
ग्रामीणों की मांग है कि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो और आगे से उन्हें गुणवत्तापूर्ण राशन मिले। प्रशासन ने जांच का भरोसा तो दिलाया है, लेकिन जब तक जिम्मेदारी तय नहीं होती, तब तक सवाल बरकरार हैं।
यह मामला सिर्फ किच्छा क्षेत्र का नहीं, बल्कि पूरे तंत्र पर सवाल खड़ा करता है कि क्या सरकारी योजनाओं का लाभ वास्तव में गरीबों तक सही ढंग से पहुंच रहा है या बीच में भ्रष्टाचार और लापरवाही गरीबों का हक मार रही है।

