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*”रुद्रपुर:- एसएलओ के खाते से निकाले फर्जी तरीके से करोड़ों रुपए, मामला सामने आया तो उड़े प्रशासन के होश; जानें पूरा मामला।*

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ख़बर पड़ताल ब्यूरो:- उत्तराखंड के उधमसिंहनगर जिले में करोड़ों की धोखधड़ी का मामला सामने आया है जहां एक निजी बैंक में एसएलओ के खाते से फर्जी हस्ताक्षरों से चेकों से 13 करोड़ रुपये निकाल लिए गए हैं, बता दें की जब धोखाधड़ी का मामला सामने आया तो प्रशासन के भी होश उड़ गए, ये धोखाधड़ी सिर्फ रुद्रपुर के ही नहीं बल्कि रुद्रपुर के अलावा यूपी के बागपत के एसएलओ के खाते से चार करोड़ रुपये फर्जी तरीके से निकाले गए हैं।

दरअसल विशेष अध्याप्ति अधिकारी (एसएलओ) के खाते से फर्जी हस्ताक्षरों से चेकों से 13 करोड़ रुपये निकालने का मामला सामने आया है। समीक्षा बैठक में मामले की जानकारी मिलने के बाद पुलिस प्रशासन में हड़कंप मच गया। एसएलओ, एसपी क्राइम, एसपी सिटी सहित तमाम अधिकारी बैंक में पहुंचे और मामले की जांच शुरू कर दी। जांच में पता चला कि रुद्रपुर के अलावा यूपी के बागपत के एसएलओ के खाते से चार करोड़ रुपये निकाले गए हैं।

पुलिस ने छानबीन कर विभिन्न खातों में डाली गई करीब छह करोड़ रुपये की रकम को फ्रीज कर दिया है। एसएलओ की तरफ से तहरीर देने की कार्यवाही की जा रही है। सोमवार को कलक्ट्रेट स्थित एसएलओ कार्यालय में एनएच 74 के मुआवजे को लेकर एनएचएआई और एसएलओ की ओर से समीक्षा की जा रही थी।

उन्होंने बैंक का शटर गिरकर अधिकारी और कर्मचारियों से अलग-अलग पूछताछ की। टीम ने चेक से जिन खातों में रकम ट्रांसफर की गई, उनकी भी जांच की। करीब पांच घंटे बाद एसएलओ कौस्तुभ मिश्रा ने बताया कि एनएच के खातों का मासिक मिलान होता है। मिलान के दौरान पता चला कि 13 करोड़ रुपये गायब हैं। जब पुलिस और एनएच अधिकारियों के साथ बैंक में आकर जांच की गई तो पता चला कि एसएलओ ऊधमसिंहनगर के फर्जी हस्ताक्षर से तीन अवैध चेकों के माध्यम से 13 करोड़ 51 लाख रुपये की धनराशि निकाली गई थी।

इसके अलावा बागपत के एसएलओ के फर्जी हस्ताक्षर से एक अवैध चेक से चार करोड़ 41 लाख रुपये इसी बैंक के जरिए निकाली गई थी। कुछ चेक 28 अगस्त और कुछ 31 अगस्त को लगाए गए हैं। यह एनएच के खाते में सुरक्षित धनराशि है, इससे मुआवजा बांटते हैं। यह एनएच 74 के नाम से पुराने चेकों के माध्यम से भुगतान का मामला है। कुछ चेक 28 अगस्त और कुछ 31 अगस्त को लगाए गए हैं।

चेक बुक में ही तीनों वास्तविक चेक

एसएलओ मिश्रा ने बताया कि जिन तीन चेकों से रुपये निकाले गए हैं, वे तीनों वास्तविक चेक कार्यालय में रखी चेक बुक में सुरक्षित हैं। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि चेकों की डुप्लीकेट कापी बनाकर बैंक में भुगतान के लिए लगाया गया है। कहा कि शामली के एसएलओ का फर्जी हस्ताक्षर कर अवैध चेक इस बैंक में लगाने की जांच की जा रही है।

बैंक में लगे सीसीटीवी की फुटेज खंगाली गई

सरकारी खाते से करोड़ों रुपये की रकम निकलने से अफसरों के पैरों तले जमीन खिसक गई। बैंक में घुसते ही पुलिस टीम ने अलग-अलग टास्क पर काम करना शुरू कर दिया। टीमों ने अधिकारी, कर्मचारियों से पूछताछ की तो एक टीम ने 28 अगस्त और 31 अगस्त की फुटेज खंगाली। इस दौरान बैंक में आए ग्राहकों को चिन्हि़त किया गया। दो दिन आने वाले ग्राहकों की फुटेज को अलग कर चिन्ह्ति कर उनको तस्दीक करने की कार्यवाही शुरू कर दी।

छह करोड़ रुपये किए गए हैं फ्रीज

एसपी क्राइम चंद्रशेखर आर घोड़के ने बताया कि एसएलओ के खाते से फर्जी तरीके से चेक लगाकर करोड़ों रुपये निकालने का मामला संज्ञान में आते ही जांच शुरू कर दी गई थी। अब तक विभिन्न खातों में गई छह करोड़ की धनराशि को फ्रीज कर दिया गया है। जो रुपया गया है, उसे सुरक्षित कर वापस करने के टास्क पर काम किया जा रहा है। एसएलओ की ओर से दी गई तहरीर पर केस दर्ज कर विस्तृत जांच की जाएगी। एसएलओ ने संबंधित आथोरिटी को अवगत कराया दिया गया है और एसएलओ शामली को भी अगत करा दिया गया है। शामली के बारे में वहीं के एसडीएम अपने क्षेत्र में कार्रवाई करेंगे। अभी सरकारी खाते से निकाले गए पूरे रुपयों को रिकवर करने की कोशिश की जा रही है। जो लोग इसमें शामिल हैं, उनको चिन्ह्ति कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। एसपी सिटी और एएसपी इस मामले को लगातार मॉनीटरिंग कर रहे हैं। यह साइबर अपराध की श्रेणी में नहीं आता है। इस मामले में बैंक में आकर किसी व्यक्ति ने फर्जी चेक लगाकर मामले को अंजाम दिया गया है। बैंक अधिकारी और कर्मचारियों की भूमिका भी जांच की जा रही है।

बैंक अधिकारियों पर पूरे मामले को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। इतनी बड़ी रकम सरकारी खातों से चेकों के माध्यम से भुगतान कर दी गई, लेकिन बैंक अधिकारियों ने इस बारे में एक बार भी एसएलओ दफ्तर से जानकारी करना जरूरी नहीं समझा। एसपी क्राइम चंद्रशेखर आर घोड़के ने बताया कि इसमें प्रथम दृष्ट्रया बैंक की ओर से लापरवाही दिख रही है। इसमें किसी की जानबूझकर लिप्तता जांच के बाद ही पता चलेगी। इसमें फुटेज भी जुटाई जा रही है।


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