ख़बर पड़ताल ब्यूरो:– उत्तराखंड एसटीएफ के कुमाऊँ परिक्षेत्र की साइबर थाना पुलिस ने “डिजिटल अरेस्ट” के जरिए ₹45.40 लाख की ठगी करने वाले मुख्य अभियुक्त को लखनऊ, उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार किया।
उत्तराखंड एसटीएफ और साइबर थाना कुमाऊं ने बड़ी सफलता हासिल करते हुए डिजिटल अरेस्ट के जरिए 45 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने वाले मुख्य आरोपी को लखनऊ से गिरफ्तार किया।
उत्तराखंड एसटीएफ की साइबर थाना पुलिस ने डिजिटल अरेस्ट जैसे खतरनाक साइबर क्राइम में शामिल मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरोह खुद को सरकारी अधिकारी बताकर पीड़ित को डराने और उसकी कमाई हड़पने में माहिर था।
काशीपुर निवासी एक व्यक्ति से जुलाई 2024 में 45 लाख 40 हजार रुपये की धोखाधड़ी की गई थी। जालसाजों ने खुद को TRAI अधिकारी और मुंबई क्राइम ब्रांच पुलिस का अधिकारी बताकर पीड़ित को फर्जी वीडियो कॉल के जरिए धमकाया। पीड़ित को बताया गया कि उसके नाम पर 20 करोड़ के हवाला घोटाले का मामला दर्ज है और उसे जांच में सहयोग करना होगा, जालसाजों ने पीड़ित को लगभग 36 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट में रखा और उसे अकेले कमरे में बंद रहने के लिए मजबूर किया। साथ ही, पीड़ित से बैंक खातों की जानकारी लेकर 45 लाख 40 हजार रुपये अपने फर्जी बैंक खातों में ट्रांसफर करवा लिए।
पुलिस की कार्रवाई
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ, नवनीत सिंह के निर्देशन में कुमाऊं साइबर पुलिस ने इस मामले में तकनीकी साक्ष्य जुटाए। आरोपी पंकज कुमार (29 वर्ष), जो उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले का निवासी है, को लखनऊ से गिरफ्तार किया गया। आरोपी के पास से घटना में इस्तेमाल किया गया मोबाइल फोन, सिम कार्ड और बैंक चेक बुक बरामद हुई है, पुलिस जांच में पता चला कि आरोपी ने फर्जी फर्मों और बैंक खातों का उपयोग करके कई राज्यों में इसी तरह की धोखाधड़ी की है। उसके बैंक खाते में दिसंबर 2023 से जुलाई 2024 के बीच करोड़ों रुपये का लेन-देन पाया गया है।
डिजिटल अरेस्ट: साइबर अपराध का नया तरीका
डिजिटल अरेस्ट साइबर अपराध का एक नया स्वरूप है, जहां जालसाज वीडियो कॉल या व्हाट्सएप के जरिए पीड़ित को डराकर उसकी स्वतंत्रता छीन लेते हैं। ये जालसाज खुद को पुलिस अधिकारी, सीबीआई, ईडी या क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताते हैं और फर्जी दस्तावेजों और वीडियो कॉल के माध्यम से पीड़ित को जांच में सहयोग के नाम पर पैसे ट्रांसफर करने के लिए मजबूर करते हैं।
पुलिस की अपील
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ, नवनीत सिंह ने जनता से अपील की:
कोई भी सरकारी एजेंसी व्हाट्सएप या वीडियो कॉल के जरिए संपर्क नहीं करती।
अज्ञात कॉल या संदेशों पर भरोसा न करें और किसी से भी अपनी निजी जानकारी साझा न करें।
यदि आप ऐसी किसी घटना का सामना करते हैं तो तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 पर संपर्क करें या cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें।
निष्कर्ष
उत्तराखंड पुलिस की यह कार्रवाई साइबर अपराधियों पर एक बड़ी चोट है। पुलिस का कहना है कि इस मामले में और भी आरोपी शामिल हो सकते हैं, जिनकी तलाश जारी है। जनता को सतर्क और जागरूक रहना बेहद जरूरी है ताकि इस तरह की धोखाधड़ी से बचा जा सके।
रिपोर्ट:- साक्षी सक्सेना