जनता की आस्था पर भारी पड़ा देशी शराब का ठेका”
धार्मिक स्थलों से घिरा है ठेका, पार्षदों की चुप्पी पर जनता हैरान।

राजीव चावला/ एडिटर
खबर पड़ताल। जहां एक ओर सरकार की नई शराब नीति स्पष्ट रूप से कहती है कि शराब की दुकानें धार्मिक स्थलों या घनी आबादी वाले क्षेत्रों में नहीं खुल सकतीं, वहीं इंदिरा कॉलोनी में हाल ही में खुला देशी शराब का ठेका इन नियमों की खुलेआम अवहेलना करता नजर आ रहा है। यह ठेका न केवल चार प्रमुख धार्मिक स्थलों से घिरा हुआ है, बल्कि तीन अलग-अलग वार्डों की जनता के नियमित आवाजाही वाले मार्ग पर स्थित है, जिससे स्थानीय लोगों की नाराजगी और आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
धार्मिक आस्थाओं को किया नजरअंदाज
जिस स्थान पर यह देशी शराब का ठेका खोला गया है, उसके ठीक सामने रामलीला कमेटी प्रांगण, बगल में महावीर वाटिका पार्क, कुछ ही दूरी पर जैन मंदिर और पीछे की ओर कुछ कदमों पर एक चर्च स्थित है। इन सभी स्थलों पर नियमित रूप से धार्मिक अनुष्ठान और आयोजन होते हैं। इसके अलावा पास में सब्जी मंडी, किराना दुकानें और स्थानीय बाजार भी हैं, जहां बड़ी संख्या में लोग प्रतिदिन आते-जाते हैं।
पार्षदों की चुप्पी पर उठे सवाल
यह क्षेत्र वार्ड-30, वार्ड-33 और वार्ड-34 के अंतर्गत आता है। लेकिन तीनों वार्डों के पार्षद अब तक इस संवेदनशील मसले पर मौन हैं। शुरू में विरोध के स्वर सुनाई दिए थे और एक बैठक भी हुई थी, लेकिन वह प्रयास ठंडे बस्ते में चला गया। इसके बाद न तो किसी पार्षद ने आवाज उठाई और न ही जनता की भावनाओं का प्रतिनिधित्व किया। अब स्थिति यह है कि पार्षद एक-दूसरे के वार्ड की सीमाओं का हवाला देकर जिम्मेदारी से बचते नजर आ रहे हैं।
जनता खुद कर सकती है आंदोलन
स्थानीय निवासी अब स्वयं संगठित होकर इस मुद्दे पर आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है कि जब उनके चुने हुए प्रतिनिधि चुप हैं, तो अब उन्हें ही आगे आकर अपनी आस्था और सुरक्षा की रक्षा करनी होगी।
पार्षदों की सफाई
वार्ड-30 के पार्षद, जिनके क्षेत्र में ठेका आता है, ने बताया कि ठेके के खुलने की सूचना पर उन्होंने विरोध दर्ज करने की कोशिश की थी, लेकिन अन्य वार्डों के पार्षदों का सहयोग नहीं मिला। फिर भी वे जल्द ही जिलाधिकारी और जिला आबकारी अधिकारी को आपत्ति पत्र सौंपकर ठेका निरस्त कराने की मांग करेंगे।
वार्ड-33 के एक पार्षद प्रतिनिधि ने भी माना कि ठेका धार्मिक स्थलों और शैक्षणिक संस्थानों के करीब है, जिससे आम जनता और छात्रों पर बुरा असर पड़ सकता है। वे भी जल्द डीएम को ज्ञापन देने की बात कह रहे हैं।
वार्ड-34 के पार्षद ने मामले से दूरी बनाते हुए कहा कि ठेका उनके वार्ड की सीमा के बाहर है, और चूंकि वार्ड-30 तथा स्थानीय धार्मिक संगठनों की ओर से कोई ठोस पहल नहीं हुई है, इसलिए उन्होंने भी आगे कदम नहीं उठाया। हालांकि यदि धार्मिक संस्थाएं आगे आती हैं, तो वे अपना समर्थन देने को तैयार हैं।
इंदिरा कॉलोनी में देशी शराब के ठेके को लेकर उपजा विवाद अब स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के रवैये पर भी सवाल खड़े कर रहा है। आस्था, कानून और सामाजिक सरोकारों को दरकिनार कर खोले गए इस ठेके को लेकर यदि अब भी ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह मामला बड़ा जनआंदोलन का रूप ले सकता है।