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“एक कॉलेज एक मुद्दा लेकिन छात्रों के गुट अलग अलग”, छात्रसंघ चुनाव को लेकर एक ही कॉलेज में अलग अलग बंटे छात्र; जानें पूरा मामला।

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संवाददाता/ साक्षी सक्सेना 

 

ख़बर पड़ताल ब्यूरो:– आज रुद्रपुर के डिग्री कॉलेज में छात्रसंघ चुनाव रद्द होने के बाद बवाल मचा छात्रसंघ चुनाव की तैयारी कर रहे प्रत्याशियों ने धरना प्रदर्शन किया, पर इसमें छात्र एकता की बात करें तो छात्र अलग अलग गुटों में बंटे हुए दिखाई दिए

छात्रों का एक गुट विज्ञान संकाय विभाग के बाहर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे निर्दलीय सचिव प्रत्याशी पल्लव शील के साथ कुछ छात्र भी बैठे दिखाई, इसके अलावा विश्व विद्यालय प्रतिनिधि प्रत्याशी सागर, अध्यक्ष प्रत्याशी जसबीर गंगवार, इसके अलावा अलग अलग पद के प्रत्याशी सहयोग में बैठे हैं, साथ ही वर्तमान के कोषाध्यक्ष अनमोल त्रिपाठी, वर्तमान सचिव सचिन वर्मा भी सहयोग में बैठे दिखाई दिए, लेकिन वहीं दूसरा गुट ऑडिटोरियम में धरने पर बैठा, जिसमे अध्यक्ष प्रत्याशी धर्मेंद्र सैनी के साथ छात्र सहयोग में बैठे।

बड़ा कारण आया सामने…

एक ही कॉलेज के छात्र का अलग अलग गुटों में बंटकर धरने पर बैठने का बड़ा कारण सामने आया है कि पोस्टर पर एक छात्र का नाम लिखा होना, उसी कारण से छात्र बंट गए उनका कहना था कि पोस्टर पर एक का नाम लिखने का अर्थ है कि हम उसके सहयोग में बैठे हैं जो दूसरे छात्र को बर्दाश्त नहीं हुआ और दूसरा गुट अध्यक्ष प्रत्याशी धर्मेंद्र सैनी के साथ धरने पर बैठ गया, एक कॉलेज एक ही मुद्दा लेकिन गुट अलग अलग।

वहीं एक छात्र नेता पल्लव का कहना है कि मेरे द्वारा कल ही महाविद्यालय व जिला प्रशासन को मेल के माध्यम से भूख हड़ताल पर बैठने के लिए सूचित कर दिया गया था,

वहीं महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य ने बताया कि आज कुछ छात्र धरने पर बैठने के लिए गर्ल्स कॉमन रूम की अनुमति मांगने आए थे लेकिन गर्ल्स कॉमन रूम की अनुमति न देने पर छात्र प्राचार्य भवन के सामने ही धरने पर बैठ गए है जिस कारण से छात्रों को सिर्फ दिन में गर्ल्स कॉमन रूम में बैठने की अनुमति दी गई है l

प्राचार्य प्रभारी ने ये भी बताया की छात्रसंघ चुनाव न होने का  मुख्य कारण विश्विद्यालय द्वारा UG 3rd sem का परीक्षा परिणाम समय पर न घोषित करना सामने आ रहा है, कहीं न कहीं इस मामले में कुमाऊं विश्वविद्यालय की लापरवाही सामने आ रही है, बड़ा सवाल है कि विश्वविद्यालय ने क्यों सरकार के आदेश का अनुपालन नहीं किया?

साथ ही बड़ा सवाल ये भी उठता है कि छात्रों के प्रदर्शन होने से विश्वविद्यालय और सरकार चुनाव कराने पर मजबूर होगी???


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