

ख़बर पड़ताल ब्यूरो:- बाजपुर में फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्रों के आधार पर सरकारी नौकरी करने वाली शिक्षिका के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है। इस शिक्षिका को शिक्षा विभाग पहले ही बर्खास्त कर चुका है। अब पुलिस ने एसएसपी के आदेश पर मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। आइए जानते हैं पूरा मामला।”
“बाजपुर के राजकीय प्राथमिक विद्यालय, चनकपुर में 22 अक्टूबर 2009 को सहायक अध्यापिका के पद पर नियुक्त हुई गिंदर पाल पर फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्रों के जरिए नौकरी पाने का आरोप है। जांच में सामने आया कि उन्होंने हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयागराज से प्राप्त ‘मध्यमा’ और ‘उत्तमा’ प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पाई थी। लेकिन जांच में यह प्रमाण पत्र अमान्य पाए गए।”
“जब यह मामला शिक्षा विभाग के संज्ञान में आया, तो जिला शिक्षा अधिकारी के आदेश पर 2019 में शिक्षिका को निलंबित कर दिया गया। हालांकि, शिक्षिका ने हाईकोर्ट में रिट दायर कर दी, जिसके बाद कोर्ट के आदेश पर उन्हें बहाल कर दिया गया। लेकिन शिक्षा विभाग ने दोबारा जांच करवाई और फर्जी प्रमाणपत्रों की पुष्टि होने पर 27 फरवरी 2024 को गिंदर पाल को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया
अब इस मामले में पुलिस ने शिक्षिका के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज कर लिया है। सीओ विभव सैनी ने बताया कि एसएसपी के निर्देश पर बरहैनी चौकी प्रभारी अशोक कांडपाल को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
सीओ विभव सैनी:
“शिक्षा विभाग की रिपोर्ट के आधार पर शिक्षिका गिंदर पाल के खिलाफ धारा 318, 336, 338, 340 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। मामले की विस्तृत जांच की जा रही है।
15 साल तक सरकारी नौकरी करने वाली शिक्षिका आखिरकार फर्जी प्रमाणपत्रों के चलते बर्खास्त कर दी गई और अब उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी शुरू हो गई है। इस मामले से एक बड़ा सवाल उठता है कि आखिर शिक्षा विभाग में फर्जी प्रमाण पत्रों के जरिए नौकरी पाने वाले अन्य लोग कब तक जांच के दायरे में आएंगे? इस पूरे मामले की हर अपडेट के लिए जुड़े रहें [न्यूज़ चैनल का नाम] के साथ।
“यह मामला सरकारी नौकरी में पारदर्शिता को लेकर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। फर्जी प्रमाण पत्रों के जरिए नौकरी हासिल करने वालों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह के मामले सामने न आएं।