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“अगर CBI मेरे पास आई, तो कई लोगों के लिए काला दिन होगा साबित..”:- पाखरो केस मामले में पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने किसको दी खुली चेतावनी…

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ख़बर पड़ताल ब्यूरो:- उत्तराखंड में सबसे ज्यादा चर्चा में रहा पाखरो केस मामले में पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की प्रतिक्रिया सामने आई है, बता दें की पाखरो टाइगर सफारी मामले में चल रही सीबीआई जांच पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि सीबीआई द्वारा उनकी जांच नहीं की जा रही, बल्कि पाखरो टाइगर सफारी निर्माण की जांच की जा रही है. हरक सिंह रावत ने कहा कि मामले में जब सीबीआई मेरे पास आएगी,तो वो दिन बहुत लोगों के लिए काला दिन साबित होगा…

कांग्रेस नेता नेता हरक सिंह रावत ने एक बार फिर पाखरो टाइगर सफारी मामले में बड़ा बयान दिया है. हरक सिंह रावत ने कहा कि पाखरो सफारी मामले में उनकी जांच नहीं हो रही है, बल्कि जांच पाखरो रेंज में हुए निर्माण कार्यों की हो रही है. उन्होंने कहा कि मामले में जब सीबीआई मेरे पास आएगी, तो वो दिन बहुत लोगों के लिए काला दिन साबित होगा, हरक सिंह रावत ने कहा कि एक मंत्री के रूप में मैंने कोशिश की थी कि गढ़वाल और कोटद्वार का विकास हो और लोगों को रोजगार मिले. वहीं, अगर आज पाखरो टाइगर सफारी का निर्माण हो जाता, तो लाखों लोगों को रोजगार मिलता. कोई सफारी चलाकर अपना जीवन-यापन करता, तो कोई गार्ड का काम करके अपनी आजीविका चलाता. उन्होंने कहा कि इस मामले में मेरी कोई संलिप्ता नहीं है, इसलिए कोई भी जांच करा लें, हरक सिंह रावत ने कहा कि जो मेरे पास विभाग थे. सिर्फ उन्हीं विभागों की ही जांच क्यों हो रही है? सभी विभागों की जांच होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि जब जांच आगे बढ़ेगी, तो सीबीआई के अधिकारी मेरे पास आएंगे, तब मैं बहुत से तथ्य सीबीआई को दूंगा. वहीं, अगर उन तथ्यों पर सीबीआई संज्ञान नहीं लेगी, तो मुझे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा और वो दिन बहुत लोगों के लिए काला दिन होगा।

जानिए क्या है मामला

बीजेपी की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने साल 2019 में पाखरो में टाइगर सफारी निर्माण के लिए केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से मंजूरी मांगी थी. साल 2019-20 में पाखरो में 106 हेक्टेयर वन भूमि पर कार्य शुरू किया गया था. उत्तराखंड सरकार की ओर से कहा गया था कि इस प्रोजेक्ट के लिए केवल 163 पेड़ काटे जाएंगे, लेकिन बाद में हुई जांच में पता चला कि इस दौरान बड़ी संख्या में पेड़ काटे गए।

एक वन्यजीव कार्यकर्ता गौरव बंसल ने सबसे पहले ये मामला दिल्ली हाईकोर्ट में उठाया था. साल 2021 में इस संबंध में दिल्ली हाईकोर्ट ने एनटीसीए को निर्देशति किया था. एनटीसीए की गठित समिति ने सितंबर 2021 में कॉर्बेट पार्क का निरीक्षण किया और 22 अक्टूबर 2021 को अपनी रिपोर्ट सौंपी. रिपोर्ट में एनटीसीए ने मामले की विजिलेंस जांच और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही थी. फिर नैनीताल हाईकोर्ट ने अक्टूबर 2021 में मामले का स्वत: संज्ञान लिया.इसके बाद उत्तराखंड वन विभाग ने फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (FSI) को जांच करवाई. फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया ने पूरे एरिया ( पाखरो, कालू शहीद, नलखट्टा और कालागढ़ ब्लॉक) का सैटेलाइट इमेज के जरिए और फील्ड निरीक्षण से पता लगाया कि 163 की जगह 6,903 पेड़ काट दिए गए. फिर इस मामले ने तूल पकड़ा. लेकिन वन विभाग ने इस रिपोर्ट को नहीं माना, संज्ञान लेते हुए 3 सदस्यीय कमेटी बनाई गई. इस समिति में एडीजी वाइल्ड लाइफ विभाग, एडीजी प्रोजेक्ट टाइगर और डीजी फॉरेस्ट शामिल थे. मार्च 2023 में इस कमेटी ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को रिपोर्ट सौंपी और निर्माण के नाम पर अवैध कार्यों की पूरी जानकारी दी और जिम्मेदार अधिकारियों के नाम भी रिपोर्ट में लिखे. उस रिपोर्ट में तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत और आठ अन्य अधिकारियों का नाम था।

उधर, सुप्रीम कोर्ट की सेंट्रल एम्पॉवर्ड कमेटी ने इन सभी जांचों को आधार बनाकर जनवरी 2023 में अपनी एक रिपोर्ट तैयार कर सुप्रीम कोर्ट में सौंपी. रिपोर्ट में बताया गया था कि कॉर्बेट फाउंडेशन के करीब ₹200 करोड़ से ज्यादा के बजट का भी उपयोग किया गया. सेंट्रल एम्पॉवर्ड कमेटी ने इस रिपोर्ट में तब वन मंत्री रहे हरक सिंह रावत को भी जिम्मेदार बताया था. तमाम जांच रिपोर्ट्स के बाद उत्तराखंड वन विभाग ने कॉर्बेट में तैनात रेंजर बृज बिहारी, डीएफओ किशन चंद, चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन जेएस सुहाग को निलंबित किया गया. तत्कालीन पीसीसीएफ हॉफ राजीव भरतरी को भी उनके पद से हटाया गया था. बता दें कि इस मामले में ईडी भी कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत से पूछताछ कर चुकी है।


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