ख़बर पड़ताल ब्यूरो:- सोशल मीडिया साइट्स पर विज्ञापनों के माध्यम से ऑनलाइन ट्रेडिंग कर अधिक मुनाफे का लालच देकर लाखों रुपए की धोखाधड़ी करने वाले दो आरोपियों को एसटीएफ ने उधम सिंह नगर से गिरफ्तार किया है. आरोपियों के कब्जे से बैंक खाते, फर्जी फर्म और कंपनियों के नाम फोटो सहित अन्य दस्तावेज बरामद हुए हैं. बताया जा रहा है कि दोनों आरोपी दुबई जाते थे, जहां वह साइबर क्राइम के सरगनों से संपर्क करते थे.
दरअसल उधम सिंह नगर निवासी एक व्यक्ति द्वारा अगस्त 2024 में केस दर्ज कराया गया था, जिसमें बताया गया था कि उसने जून 2024 में फेसबुक में एक ऑनलाइन ट्रेडिंग बिजनेस का विज्ञापन देखा. जिसके बाद उसने लिंक पर क्लिक किया, तो वह (पीड़ित) एक अज्ञात वाट्सअप ग्रुप से जुड़ गया. चैटिंग करने के बाद पीड़ित को एक अन्य लिंक के माध्यम से Goldman Sachs India Pvt. Ltd नाम के ग्रुप में जोड़ा गया और ग्रुप में पहले से जुडे लोगों द्वारा उसमें अपने प्रॉफिट की धनराशि के स्क्रीनशॉट शेयर किए गए. जिसमें ऑनलाइन स्टॉक मार्केट में शेयर खरीदने और बेचे जाना बताया गया था.
ऑनलाइन ट्रेडिंग करने के लिए आरोपियों ने वाट्सअप के माध्यम से उपलब्ध कराये गये अलग-अलग बैंक खातों में पीड़ित से लगभग 53 लाख रुपए की धनराशि धोखाधड़ी से जमा करा ली. साइबर अपराधियों द्वारा पीड़ित को ऑनलाइन शेयर मार्केटिंग में अधिक मुनाफे का लालच दिया गया. विवेचना के दौरान साइबर थाना पुलिस द्वारा बैंक खातों और मोबाइल नंबरों का सत्यापन करने की कार्रवाई की गई. पुलिस टीम द्वारा तकनीकी और डिजिटल साक्ष्य इकट्ठे कर घटना के मास्टर माइंड और मुख्य आरोपी गुरप्रीत सिंह और प्रेमशंकर को चिन्हित करते हुए तलाश की गई. जानकारी में आया कि आरोपी गुरप्रीत सिंह विदेशी साइबर अपराधियों से लगातार संपर्क में है और वह पहले भी दुबई की भी यात्रा कर चुका है. आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए कई स्थानों पर दबिश दी गयी, लेकिन आरोपी पकड़ में नहीं आए.
आरोपी द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से ट्रेडिंग बिजनेस का विज्ञापन प्रसारित कर लिंक के माध्यम से वाट्सअप ग्रुप में जोड़कर ऑनलाइन ट्रेडिंग कर शार्ट टर्म में अधिक मुनाफा कमाने का झांसा देकर निवेश कराकर लाखों रुपये की धोखाधड़ी की जाती थी. आरोपी वाट्सअप ग्रुप में अलग-अलग शेयर में निवेश करने के नाम पर मुनाफा होने के फर्जी स्क्रीनशॉट भेजा करते थे और खुद को अधिक लाभ होने के बात करते थे, जिससे ग्रुप में जुड़े पीड़ित इनके झांसे में आकर धनराशि निवेश करते थे. निवेश की गई धनराशि में मुनाफा दिखाने के लिए यह एक फर्जी लिंक का प्रयोग करते थे, जिसमें इनके नाम के बनाए गए फर्जी खातों और डेसबोर्ड में निवेश की गई धनराशि मुनाफा सहित पीड़ित को दिखायी देती थी, जिससे पीड़ित को अधिक मुनाफा होने का भरोसा हो जाता था.
विड्रॉल के नाम पर यह साइबर अपराधी पीड़ित के खाते में कभी-कभी छोटी धनराशि भेज देते थे, जिससे पीड़ित को अपने साथ हो रही साइबर धोखाधड़ी का अंदेशा नहीं हो पाता था. अपराधियों द्वारा धोखाधड़ी से प्राप्त धनराशि को अलग-अलग बैक खातों में प्राप्त कर धनराशि को अन्य खातों में ट्रांसफर किया जाता था. साथ ही आरोपी कार्य के लिए अन्य लोगों के चालू खाते खुलवाकर खुद इंटरनेट बैंकिंग एक्टिव कराकर, इंटरनेट किट प्राप्त कर लॉगिन आईडी और पासवर्ड क्रिएट कर कमीशन बेस्ड खातों का प्रयोग कर अपराध करते थे. वहीं, पूछताछ में आरोपी गुरप्रीत सिंह ने बताया कि उसने कई लोगों के नाम से फर्जी फर्म बनाकर चालू बैंक खाते खोले हैं, जिनका एक्सेस उसके द्वारा खुद किया जा रहा था. बैंक खातो में लिंक मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी को इंटरनेट बैंकिंग के लिये प्रयोग किया जाता था.
एसएसपी एसटीएफ नवनीत भुल्लर ने बताया कि आरोपियों ने साइबर अपराध के लिए अलग-अलग लोगों के नाम पर फर्जी चालू बैंक खाते खोले थे. आरोपी उन खातों का प्रयोग साइबर अपराध में ठगी गई धनराशि को जमा और निकाला करते हैं. इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से संचालित करने के लिए एसएमएस अलर्ट नंबर और ईमेल आईडी का प्रयोग आरोपियों द्वारा किया जा रहा था. उन्होंने कहा कि इन बैंक खातों के बैंक स्टेटमेंट में करोड़ों रुपए के लेनदेन किया जाना पाया गया है. जांच में यह भी पता चला कि इन बैंक खातों के खिलाफ देश के कई राज्यों में कुल 10 साइबर अपराधों की शिकायतें दर्ज हैं.