
ख़बर पड़ताल ब्यूरो:– निकाय चुनाव खत्म होने के बाद भी चुनाव की चर्चाएं तेज हैं इसका जीता जागता उदाहरण आज हम आपको बताने जा रहे हैं कहते हैं कि मेहनत, लगन और जनता की सेवा का जज़्बा किसी को भी बुलंदियों तक पहुंचा सकता है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है श्रीनगर नगर निगम के वार्ड संख्या 23 से नव-निर्वाचित पार्षद दीपक कुमार ने। पेशे से सैलून संचालक दीपक ने छोटी सी दुकान से पार्षद बनने तक का सफर तय कर लोगों के लिए एक मिसाल कायम की है। आइए जानते हैं उनकी प्रेरणादायक कहानी।
श्रीनगर में पीएनबी मार्ग पर स्थित एक छोटी सी सैलून की दुकान ही दीपक कुमार की मेहनत की पहचान रही है। इस दुकान को उनके पिता जगदीश कुमार ने करीब 40 साल पहले शुरू किया था। पिछले 18 सालों से दीपक भी इस व्यवसाय में उनके साथ हैं। मात्र 5×6 फीट की यह दुकान, जहां से दीपक ने अपनी आजीविका चलाई, वही दुकान अब उनकी सफलता का गवाह बन गई है।
दीपक कुमार (पार्षद, वार्ड 23) “यह दुकान सिर्फ मेरी रोज़ी-रोटी नहीं, बल्कि मेरी पहचान है। पार्षद बनने के बाद भी मैं इसे जारी रखूंगा, क्योंकि यह मुझे मेरी जड़ों से जोड़े रखती है।”
निकाय चुनाव में दीपक के सामने कांग्रेस समेत तीन निर्दलीय प्रत्याशी थे, लेकिन वार्डवासियों ने उन पर भरोसा जताया और उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी आकाश भारती को महज 16 वोटों से हराकर जीत दर्ज की।
अब दीपक का लक्ष्य अपने वार्ड को आदर्श वार्ड बनाना है। उनकी प्राथमिकता बरसाती नाले और जलभराव की समस्या को स्थायी रूप से हल करना है, जिससे लोगों को राहत मिल सके।
जगदीश कुमार (दीपक के पिता) “मैंने पूरी जिंदगी सैलून के काम में बिता दी और मेरा बेटा भी मेरे साथ इसी काम में लगा रहा। मैंने कभी नहीं सोचा था कि वह पार्षद बनेगा, लेकिन उसकी ईमानदारी और लोगों से जुड़े रहने की आदत ने उसे इस मुकाम तक पहुंचाया।”
दीपक कुमार की इस सफलता ने साबित कर दिया कि अगर इरादे मजबूत हों, मेहनत सच्ची हो और जनता का साथ मिले, तो कोई भी अपनी मंज़िल तक पहुंच सकता है। अब देखना यह होगा कि अपने वादों को पूरा कर वे अपने वार्ड को कितना आदर्श बना पाते हैं।
तो ये थी श्रीनगर नगर निगम के वार्ड संख्या 23 से पार्षद बने दीपक कुमार की कहानी, जिन्होंने छोटी सी सैलून की दुकान से लेकर राजनीति के क्षेत्र तक अपनी पहचान बनाई। अब देखना होगा कि वे अपने वार्ड में क्या-क्या बदलाव लाते हैं।
रिपोर्ट:- साक्षी सक्सेना