झूठे तथ्यों पर दर्ज हुआ था दुष्कर्म का केस, कोर्ट ने किया युवक को बरी” सख्त हिदायत इस तरह के मामलों में ना हो विधि का दुरप्रयोग।

ख़बर पड़ताल ब्यूरो। जिला एवं सत्र न्यायालय ने विवाहिता द्वारा दर्ज कराए गए दुष्कर्म के मामले में आरोपी युवक धीरज रावत को दोषमुक्त कर दिया है। अदालत ने कहा कि महिला पहले से शादीशुदा थी और आरोपी के साथ सहमति से रिश्ते में थी। ऐसे में यह मामला दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आता।
सत्र न्यायाधीश अनुज कुमार संगल की अदालत ने अपने फैसले में कहा कि बिना पति से विवाह विच्छेद के, किसी अन्य व्यक्ति के साथ संबंध बनाना सहमति से हुआ संबंध माना जाएगा और इसे बलपूर्वक या धोखे से संबंध कहना विधि प्रक्रिया का दुरुपयोग है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वादिनी ने झूठे तथ्यों के आधार पर केस दर्ज कराया, जिससे न्यायालय को चार वर्षों तक निराधार सुनवाई करनी पड़ी।
कोर्ट ने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के महेश खरे बनाम महाराष्ट्र राज्य मामले का उल्लेख करते हुए कहा कि ऐसे मामलों में यदि महिला पर कोई स्पष्ट या सिद्ध दबाव नहीं हो तो उसे सहमति से संबंध ही माना जाएगा।
मामला चम्पावत जनपद के बनबसा क्षेत्र का है, जहां फरवरी 2021 में एक महिला ने चांद फार्म निवासी धीरज रावत के खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया था। महिला ने आरोप लगाया था कि उसका पति 2013 में नौकरी के लिए मुंबई गया और फिर लौटकर नहीं आया। इसी बीच धीरज से उसकी जान-पहचान हुई और दोनों पति-पत्नी की तरह रहने लगे। फरवरी 2020 में महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया। बाद में महिला ने आरोप लगाया कि धीरज उस पर अनैतिक दबाव बना रहा है, जिसके बाद केस दर्ज हुआ।
कोर्ट ने सबूतों और परिस्थितियों के आधार पर आरोपी को दोषमुक्त कर दिया और कहा कि इस तरह के मामलों में विधि का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए।