ख़बर पड़ताल ब्यूरो:- शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के माता-पिता ने अपनी बहू स्मृति पर गंभीर आरोप लगाए हैं. माता-पिता ने अपने बयान में कहा कि उनका बेटा शहीद हुआ लेकिन, उन्हें कुछ नहीं मिला, कहा कि पांच महीने की शादी थी. बेटा शहीद हो गया और बहू कीर्ति चक्र लेकर मायके चली गई. हमारे पास क्या बचा? ऐसे बहुत केस आ रहे हैं. बहुएं भाग जा रही हैं. उनके हाथ में सम्मान नहीं देना चाहिए।
ना तो बहु मेरे पास है और ना बेटा… और ना वह सम्मान (कीर्ति चक्र), जिसे हाथ पर रखकर कम से कम देख सकूं या फोटो खींच संकू. हमारे यूपी और बिहार की बहुएं ऐसी नहीं होती हैं, वह हमारे साथ रहती हैं…’ ये कहना है कीर्ति चक्र से सम्मानित शहीद अंशुमन सिंह के माता-पिता का. पांच जुलाई को कैप्टन शहीद अंशुमान सिंह को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया था. शहीद अंशुमन की मां और उनकी पत्नी यह सम्मान लेने राष्ट्रपति भवन आई थीं. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अंशुमान सिंह की पत्नी स्मृति सिंह को कीर्ति चक्र से सम्मानित किया. साथ में उनके साथ अंशुमन की मां खड़ी थीं. वहीं, अब अंशुमन सिंह के माता पिता ने बहू पर गंभीर आरोप लगाया गया है।
अंशुमान सिंह की मां मंजू सिंह ने कहा कि पांच महीने की शादी थी. बेटा शहीद हो गया और बहू कीर्ति चक्र लेकर मायके चली गई. हमारे पास क्या बचा? ऐसे बहुत केस आ रहे हैं. बहुएं भाग जा रही हैं. उनके हाथ में सम्मान नहीं देना चाहिए. राहुल जी ने कहा है वो राजनाथ जी से बात करेंगे. वहीं, शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के पिता रवि प्रताप सिंह ने भी कहा कि बहू कीर्ति चक्र भी ले गई यहां बस बेटे की तस्वीर बची है. कैप्टन अंशुमन सिंह के माता पिता का कहना है कि सरकार एक बार NOK के मुद्दे पर विचार करे क्योंकि बहुएं चली जाती हैं सब कुछ लेकर ऐसा बहुत जगहों पर हुआ है।
शहीद अंशुमान की मां ने कहा कि हम बहू से बेहद प्यार करते थे. मेरी बहु बहुत सुंदर थी. बहुत अच्छी थी. मेरी बेटी और मेरी बहू नोएडा में एक साथ रहती थीं क्योंकि बहू को खाना बनाना या चाय बनाना नहीं आता था. इसलिए मैंने अपनी बेटी को बहू के साथ नोएडा में कर दिया था. शुरुआती दौर में जब मेरा बेटा बाहर ड्यूटी पर था तो 4 महीने मैं खुद बहु के साथ रही. जब मेरा बेटा शहीद हो गया तो देवरिया के घर पर तेरहवीं तक बहू रहीं. तेरहवीं के दिन उनके परिवार वालों ने कहा कि धार्मिक आयोजन के लिए बेटी को ले जा रहे हैं, जल्दी ही वापस आ जाएगी. बेटी ने भी कहा था कि बहू अभी उस स्थिति में नहीं है कि मैं रख सकूं. थोड़ा स्टेब्लिश होने के बाद वापस आने की बात कही थी।
उन्होंने आगे कहा कि मेरी बेटी लखनऊ तक छोड़ने आई फिर लखनऊ से मेरी बहू फ्लाइट से दिल्ली चली गई. नोएडा घर पर अपना सारा सामान पैक किया जबकि मेरे बेटे का कपड़ा, सामान टाई-बेल्ट एक झोली में पैक कर दी. फिर बहू नोएडा से पठानकोट चली गई. जब हम लोग जाकर देखे तो बहुत दुख हुआ क्योंकि मेरे बेटे का सारा सामान झोले में था. फिर हम लोग लगातार बात करने की कोशिश करते थे, फोन करते थे. कई बार जब फोन करते थे तो बहू फोन उठाती थी फिर थोड़ी देर बातचीत करने के बाद रख देती थी।
जब बेटे को कीर्ति सम्मान चक्र पाने की घोषणा हुई तो मैंने बहू को फोन किया. बहू बेटे को यह सम्मान मिलना है तो उसने कहा कि मम्मी मैने भी देखा और सुना है. जब हम लोग सम्मान लेने गए तब भी मेरी कोई बातचीत नहीं हुई. बेटे की बरसी पर घर में पूजा होती है, जिसमें पत्नी का रहना जरूरी होता है, मैंने बहू को फोन किया. बहू आपको पूजा में 1 दिन के लिए आना है, जरूरी है क्योंकि पत्नी के बगैर कोई भी पूजा हिंदू धर्म में पूरी नहीं होती है. पहले बहू ने कहा मम्मी मैं आऊंगी फिर उसके बाद मेरा नंबर ब्लॉक कर दिया. जो और नंबर था वह उठा ही नहीं. उसके बाद से लगातार प्रयास के बाद भी बातचीत नहीं हुई. हम लोगों ने सोचा था कि बेटा शहीद हो गया है, अभी शादी के 5 महीने हुए हैं तो बहू को दूसरी शादी करनी पड़ेगी. हम लोगों ने भी कहा था लेकिन ऐसे संबंध खत्म होगा यह हम लोगों ने सोचा नहीं था।
रिपोर्ट: साक्षी सक्सेना