देश को दहलाने की एक बड़ी साजिश को नाकाम करते हुए भारतीय सेना की 40 नकली लड़ाकू वर्दी को बरामद किया गया है और आरोपी को पकड़ लिया गया है। सेना की नकली वर्दी बेचने वाले एक गिरोह का फंडाफोड़ किया गया है और एक आरोपी गिरफ्तार हुआ है. दरअसल, सेना के ‘सदर्न कमांड’ मिलिट्री इंटेलिजेंस, पुणे और महाराष्ट्र के अहमदनगर के भिंगर कैंप पुलिस ने ज्वाइंट ऑपरेशन चलाया. इस दौरान एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया और उसके पास से 40 फर्जी यूनिफॉर्म बरामद की गई हैं….महाराष्ट्र मिलिट्री इंटेलिजेंस और पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी है. दोनों की टीमों ने मिलकर महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में सेना के नए कॉम्बैट यूनिफॉर्म के साथ युवक को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने शख्स के पास से एक कार में 40 कॉम्बैट यूनिफॉर्म बरामद किया है. शुरुआती जांच में पता चला है कि शख्स राजस्थान और नई दिल्ली से भी तार जुड़े हुए हैं. फिलहाल सेना और पुलिस मिलकर इस बात की जांच कर रही है कि आखिर नए कॉम्बैट यूनिफॉर्म का खरीददार कौन और इसके पीछे उसकी क्या मंशा है।
जांच एजेंसी को शक है कि यूनिफॉर्म के जरिए सैन्य ठिकानों को टारगेट करने की प्लानिंग भी हो सकती है. पुलिस ने आरोपी को तत्काल हिरासत में ले लिया था. उसकी पहचान नासिक के सुरेश खत्री के तौर पर की गई है. सुरेश नासिक के देवलाली कैंप इलाके में रहता है. पूछताछ के बाद अहमदनगर की भिंगार कैंप पुलिस ने सुरेश के खिलाफ केस दर्ज करते हुए गिरफ्तार कर लिया है, सुरेश से सेना और पुलिस की एक ज्वाइंट टीम पूछताछ कर रही है। देवलाली कैंप सेना नासिक में सेना का एक बड़ा बेस है और इसी इलाके में रहते हुए आरोपी कैसे सेना के अंदर इतने लिंक्स स्थापित किया इसे लेकर अभी तक पुलिस या मिलिट्री इंटेलिजेंस कुछ कह नहीं रही है संभव है की सेना की वर्दी का पैटर्न किसी अंदर के शक्श ने ही सुरेश खत्री को उपलब्ध कराई है इसको लेकर जांच कराई जा रही है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल मिलिट्री इंटेलिजेंस को इस बात की गुप्त सूचना मिली थी कि अहमदनगर जिले के भिंगार इलाके में एक शख्स बड़े पैमाने पर सेना की वर्दी बेचने के लिए गाड़ी से जरिए पहुंच रहा है. गुप्त सूचना मिलने के बाद मिलिट्री इंटेलिजेंस ने अहमदनगर एसपी राकेश ओला सहित औरंगाबाद के कमिश्नर और एसपी को इसकी सूचना साझा की। इसके बाद महाराष्ट्र पुलिस ने मिलिट्री अधिकारियों के साथ मिलकर एक स्पेशल टीम बनाई. टीम ने भिंगार इलाके में एक संदिग्ध शख्स की पहचान की और उसकी गाड़ी की तलाशी ली तो उसमे 40 वर्दियां मिली जो की सेना का नया कॉम्बैट यूनिफॉर्म था।
जांच में बड़ा खुलासा
एजेंसियों को जांच में पता चला की सुरेश खत्री के तार राजस्थान और दिल्ली तक जुड़े है और फर्जी तरीके से सेना की वर्दी बनाकर उसे वहां भी बेचा जाता है. दिल्ली देश की राजधानी होने से कोई शख्स सेना की वर्दी में कही भी जाकर किसी घटना को अंजाम दे सकता है. दूसरी ओर राजस्थान पाकिस्तान की सीमा से जुड़ा है. वहां बॉर्डर और सैन्य ठिकानों पर भी इस तरह की वर्दी का गैर इस्तेमाल हो सकता है।
वर्दी का खरीददार कौन?
ऐसे में सवाल ये है की इन वर्दी का खरीददार कौन होता था, इतने बड़े पैमाने पर तीन-तीन राज्यों में आर्मी की वर्दी सप्लाई हो रही थी तो इसके पीछे कौन लोग हैं. जो लोग सेना की वर्दी को खरीद रहे थे, इसके पीछे उनकी क्या मंशा है? फिलहाल सेना और पुलिस की ज्वाइंट टीम इस मामले के तह तक जाने का प्रयास कर रही है।
रिपोर्ट: साक्षी सक्सेना