ख़बर पड़ताल। अल्मोड़ा जनपद में हुए बस हादसे के बाद प्रदेश में ओवरलोडिंग रोकने के लिए डीजीपी द्वारा सख्त निर्देश जारी किए गए थे। बावजूद इसके, उधम सिंह नगर में मानकों की अनदेखी करते हुए वाहन चालकों द्वारा SOP की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। आज सुबह हुए एक हादसे ने पुलिस व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
अल्मोड़ा में बस हादसे के बाद उत्तराखंड पुलिस ने राज्य में ओवरलोडिंग और निजी वाहनों में अधिक सवारियां बैठाने पर रोक लगा दी थी। डीजीपी की ओर से जारी SOP के अनुसार सभी जिलों में सख्त चेकिंग के आदेश दिए गए थे, लेकिन इसके बावजूद उधम सिंह नगर में बड़े पैमाने पर नियमों की अनदेखी हो रही है।
आज सुबह उधम सिंह नगर के हल्द्वानी-पंतनगर मोड़ में एक छोटा हाथी वाहन 30 सवारियों के साथ हादसे का शिकार हो गया। पुलिस की चेक पोस्ट होते हुए भी इस वाहन में मानक से तीन गुना अधिक सवारियों को भरकर ले जाया जा रहा था। यह हादसा डीजीपी के निर्देशों की अनदेखी और पुलिस की ढील का परिणाम माना जा रहा है।
इस हादसे में सभी 26 सवारियों को मामूली चोटें आईं और गम्भीर घायलो को हायर सेंटर रेफर कर दिया है। बाकी घायलो को प्राथमिक उपचार के लिए जिला अस्पताल ले जाया गया। घटना की सूचना मिलने के बाद एसएसपी मणिकांत मिश्रा जिला अस्पताल पहुँचे और घायलो का हाल जाना” लेकिन इस घटना ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। डीजीपी द्वारा जारी SOP को लेकर पुलिस की जिम्मेदारी की कमी और चेकिंग की अव्यवस्था की बात सामने आ रही है।
वही जानकारों का कहना है कि “डीजीपी साहब के आदेशों का कोई असर दिखता नहीं है। पुलिस चेक पोस्ट पर चेकिंग न के बराबर है। ऐसे में तो हादसे होते ही रहेंगे।”
सवाल यह है कि क्या डीजीपी के सख्त निर्देशों के बावजूद भी पुलिस इस तरह की अनदेखी करेगी? क्या SOP सिर्फ कागजों तक ही सीमित रहेगी?