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“साइबर क्राइम सेल ने विदेश में नौकरी दिलाने का झांसा देकर लोगों से ठगी करने वाले दो भाइयों को किया गिरफ्तार”, ऑनलाइन नौकरी सर्च करने वाले होते थे ठगी के शिकार… ठगी का धंधा चलाने के लिए खोल रखा था ऑफिस…

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ख़बर पड़ताल ब्यूरो:-विदेशों में नौकरी करने की चाह आज के समय में युवाओं में बहुत ज्यादा बढ़ गई है और उनकी इसी ख्वाइश का फायदा कबूतरबाज(ठग) उठाते हैं, जब भी लोगों विदेशों में नौकरी की इच्छा होती है तो वह गूगल का सहारा लेते हैं नौकरी तलाश करते हैं और ऑनलाइन नौकरी सर्च करते हुए आप कई बार ऐसी साइट्स पर चले जाते हैं जो आपका बैंक अकाउंट खाली कर सकता है, आज की हमारी ये खबर आपको बेहद सावधान करने वाली अगर आप भी ऑनलाइन नौकरी सर्च कर रहे हैं या फिर विदेश में नौकरी करने का सपना देखते हैं…”

गाजियाबाद:- बता दें की जॉर्डन में नौकरी दिलाने का झांसा देकर लोगों के साथ ठगी करने वाले दो भाइयों को पुलिस ने मैक्स अस्पताल के पीछे पार्किंग से गिरफ्तार किया है। ठगी का धंधा चलाने के लिए दोनों ने अपने साथियों के साथ मिलकर कौशांबी में एक ऑफिस खोल रखा था। कौशांबी थाने में आए ठगी के पीड़ित आकाश की शिकायत पर पुलिस ने यह कार्रवाई की है। आरोपियों के कब्जे से 7 लोगों के 13 पासपोर्ट, दो फर्जी वीजा और दो आधार कार्ड बरामद किए हैं। डीसीपी निमिष पाटिल ने बताया कि पीड़ित के शिकायत देने पर पुलिस ने मामले में रिपोर्ट दर्ज की थी। साइबर टीम ने जब इसकी जांच की तो पता चला कि साइबर ठगों का ऑफिस वैशाली सेक्टर-4 के महालक्ष्मी टॉवर पर है। टीम ने दबिश दी, तो आरोपी मौके से फरार मिले। फोन नंबर और बैंक खातों से हुए लेन देन से पुलिस आरोपियों तक पहुंची। पुलिस ने ठगी करने वाले दो भाई मुकीम और मुफीद निवासी देवबंद सहारनपुर को गिरफ्तार किया। दोनों भाई 7वीं और 8वीं पास हैं। पूछताछ में पता चला कि दोनों भाइयों ने ठगी करने के लिए एक गैंग बनाया था। गैंग के कुछ सदस्य सोशल मीडिया पर विदेश में नौकरी दिलाने का विज्ञापन देते हैं। विज्ञापन पढ़कर जो लोग उनके झांसे में आता था टीम के अन्य सदस्य उनसे मिलकर उन्हें विदेश में नौकरी के बारे में बताते थे, पासपोर्ट और वीजा के नाम पर उनसे खाते में पैसे जमा कराए जाते थे। वहीं, टीम के कुछ सदस्य बैंकों में आए पैसों को इधर से उधर करने का काम करते हैं। ऑफिस से मीडिया साइट की मदद से फर्जी विजिटिंग कार्ड छपवाकर डालते थे।

ऑनलाइन नौकरी सर्च करने वाले होते थे ठगी के शिकार

टीम के झांसे में अधिकतर वही लोग आए, जिन्होंने ऑनलाइन नौकरी तलाश की थी। ठगों द्वारा दिए गए विज्ञापन को देखकर उनके जाल में फंस जाते थे। पीडितों के पासपोर्ट व अन्य दस्तावेज लेकर फर्जी बैंक खातों में पैसा मंगाकर आपस में बांट लेते थे।

सहारनपुर में बैठा गैंग का सदस्य फर्जी खाता नंबर उपलब्ध कराता था

पूछताछ में पता चला कि मांगेराम निवासी तलेडी जनपद सहारनपुर ठगों को पैसा मंगाने के लिए बैंक खाता उपलब्ध कराता था। ठग पीड़ितों से पैसे इन खाता नंबरों में डलवाते थे। ठग लोगों को विश्वास दिलाने के लिए उनका मेडिकल चेकअप कराते थे। ठगी के पीड़ित जब इन लोगों से वापस संपर्क करते थे, तो आरोपी अपना ऑफिस बदल देते थे। पूछताछ में पता चला है कि ठगों ने जनवरी माह में यहां ऑफिस खोला था।

नाम बदलकर लोगों के साथ ठगी करते थे

गैंग के सदस्य अपने असली नाम नहीं बताते थे। ठगी के पीड़ित कानपुर निवासी आकाश ने पुलिस में दर्ज कराई रिपोर्ट में बताया कि उन्होंने नौकरी के लिए आवेदन किया तो, उसमान नाम के व्यक्ति ने बात की थी। उसमान का वीजिटिंग कार्ड उन्हें मिला था। विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर एक व्यक्ति का 65 हजार रुपये तय हुआ था। ठगों ने एक व्यक्ति का करीब 80 हजार रुपये मांगा था। पीड़ित ने 4 लोगों के करीब एक लाख 86 हजार रुपये ठगों द्वारा बताए गए खातों में डाल दिए थे। यह पैसे एक कथित बैंक फिनो पेमेंट्स बैंक खाता धारक शिखा सिंह के नाम पर था। पैसे आने के बाद उसमान ने पीड़ितों को फर्जी नौकरी का नियुक्ति पत्र, वीजा और फ्लाइट का टिकट भेजा था। पीड़ित ने इन कागजों की जांच की पता चला कि सभी फर्जी हैं। पुलिस जांच में पता चला कि मुकीम अपना नाम उसमान बताकर ठगी कर रहा था। मुकीम ने अपना नाम उसमान और युसुफ रखा था। मुफीद ने अपना नाम आवूजार रखा था। इस के अन्य सदस्यों सैफ ने अपना नाम अबदुल्ला अंसारी, रणवीर ने विक्रम, फराद गौड ने मोहम्म्द जुनैद रख लिया था। इन लोगों ने अपने नाम बदलकर फर्जी आधार कार्ड बना लिए थे।

शिक्षा के आधार पर नौकरी दिलाने की करते थे बात

पूछताछ में पता चला कि जो लोग इन ठगों के झांसे में आ जाते थे। उन्होंने वह उनकी योग्यता के अनुसार नौकरी देने का झांसा देते थे। पीड़ित लोगों को ज्यादातर ड्राइवर, मजदूर और फैक्टरी में काम देने का झांसा देते थे। दोनों भाई एक बार खुद सउदी अरब घूमने गए थे। दोनों ने सउदी में स्टोर कीपर का काम किया था।

 

रिपोर्ट: साक्षी सक्सेना 


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