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*CM अरविंद केजरीवाल को यूट्यूबर ध्रुव राठी का वीडियो रीट्वीट पड़ा भारी, छह साल पुराने मामले में केजरीवाल को कोर्ट से झटका; HighCourt ने मानहानि के मामले को रद्द करने से किया इनकार; पढ़िए क्या है पूरा मामला…*

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने यूट्यूबर ध्रुव राठी द्वारा बनाए गए ‘बीजेपी आईटी सेल पार्ट 2’ शीर्षक वाले वीडियो को री-ट्वीट करने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि मामले को रद्द करने से इनकार कर दिया…ये पूरा मामला ध्रुव राठी की ओर से बनाए गए वीडियो ‘बीजेपी आईटी सेल पार्ट 2’ को शेयर करने का था…ध्रुव राठी एक फेमस यूट्यूबर हैं. देश और दुनिया के समसामयिक विषयों पर एक्सप्लेनर के अंदाज में वीडियो बनाते हैं जिसे लाखों में देखा जाता है. राठी के फॉलोअर्स भी इफरात में हैं और आलोचक तो हैं ही।

केजरीवाल ने अपने ट्विटर हैंडल (तब एक्स ट्विटर ही हुआ करता था) से राठी ही का एक वीडियो शेयर किया था. जिसको लेकर केजरीवाल के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज हुआ और ट्रायल कोर्ट ने केजरीवाल को समन भेजा. दिल्ली हाईकोर्ट में जज स्वर्ण कांता शर्मा ने इस मामले में निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा है। जिस वीडियो को लेकर पूरा विवाद है, वह साल 2018 के मई महीने का है और मानहानि दायर करने वाले शख्स का नाम विकास पाण्डेय है. मई वाले वीडियो से उपजे विवाद को अच्छे से जानने के लिए इसी साल मार्च में अपलोड किए गए एक और वीडियो की पृष्ठभूमि से आपको गुजरना होगा।

क्या है पूरा मामला?

विकास सांकृत्यायन उर्फ विकास पाण्डेय नाम के एक शख्स ने इस मुकदमे को निचली अदालत में दायर किया था. विकास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थक होने का दावा करते हैं और वे ‘आई सपोर्ट नरेंद्र मोदी’ नाम के सोशल मीडिया पेज के फाउंडर हैं. जिस वीडियो को लेकर ये पूरा विवाद है, वह 7 मई 2018 को ‘बीजेपी आईटी सेल पार्ट दो’ के नाम से अपलोड किया गया था। इससे पहले राठी एक और वीडियो अपलोड कर चुके थे जिसमें उन्होंने महावीर प्रसाद नाम के एक शख्स का इंटरव्यू लिया था. प्रसाद ने इंटरव्यू में भारतीय जनता पार्टी के आईटी सेल पर झूठी और फर्जी खबरें फैलाने के आरोप लगाए थे. ये वीडियो 10 मार्च 2018 का था। बाद में 7 मई को राठी ने जो वीडियो अपलोड किया, उसमें कहा गया कि विकास पाण्डेय भारतीय जनता पार्टी की आईटी सेल में दूसरे नंबर के रसूखदार नेता हैं और पाण्डेय ने एक बिचौलिए के जरिए महावीर प्रसाद को 50 लाख रूपये की पेशकश की. ये रकम राठी के पिछले वीडियो में लगे आरोपों को वापस लेने के बदले दिए जाने की बात थी।

7 मई वाले वीडियो को ही केजरीवाल ने शेयर कर दिया. विकास पाण्डेय को ये बात नागवार गुजरी और उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया. पाण्डेय का कहना था कि राठी के वीडियो में लगाए गए आरोपों की सच्चाई का पता लगाए बिना केजरीवाल ने वीडियो शेयर कर दिया, केजरीवाल के फॉलोअर्स चूंकि देश-विदेश मेंं हर जगह हैं, ऐसे में वीडियो के प्रसार से उनकी मानहानि हुई, इस पर केजरीवाल का कहना था कि वीडियो को तो कई और लोगों ने शेयर, लाइक किया. बावजूद इसके, सिर्फ उन पर मुकदमा दायर करना विकास पाण्डेय की बदनीयत को दिखाता है. वहीं, अदालत ने अपने फैसले में इस बात को हाईलाइट किया कि अपमानजनक कंटेंट को शेयर या फिर यूं कहें कि री-ट्वीट करना मानहानि ही के बराबर है. तो मैजिस्ट्रेट और सेशंस कोर्ट से मायूस होने के बाद केजरीवाल ने हाईकोर्ट का रुख किया था लेकिन यहां भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी है।

हाईकोर्ट ने और क्या कहा?

जज स्वर्ण कांता शर्मा ने अपने फैसले में कहा कि एक्स पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के ठीक-ठाक फॉलोअर्स हैं और जिस तरह का उनका राजनीतिक कद है, वे भलीभांति इस बात से वाकिफ होंगे कि उस वीडियो को शेयर करने का क्या नतीजा हो सकता है। हालांकि, जज साहिबा ने ये भी कहा कि वीडियो में जो कंटेट था, उस बारे में केजरीवाल को मालूम था या नहीं और उसको शेयर करने के पीछे क्या उनकी मानहानि की मंशा थी, ये बात ट्रायल कोर्ट की सुनवाई के दौरान ही साफ होगी।


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