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तीन बच्चों की सीमा के कारण उत्तराखंड में चुनावी दावेदारों में जागरूकता बढ़ी….

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खबर पड़ताल ब्यूरो:-उत्तराखंड में निकाय चुनाव को लेकर उम्मीदवारों में बढ़ती जागरूकता का एक अनोखा पहलू सामने आया है। राज्य में लागू तीन बच्चों की सीमा वाले कानून के कारण, चुनाव लड़ने की आकांक्षा रखने वाले पार्षद और मेयर पद के दावेदार परिवार नियोजन पर विशेष ध्यान दे रहे हैं।

सर्वेक्षण में चौकाने वाले तथ्य

खबर पड़ताल द्वारा किए गए सर्वेक्षण में यह सामने आया है कि निकाय चुनाव में उतरने वाले कई उम्मीदवार कंडोम और अन्य परिवार नियोजन साधनों का उपयोग कर रहे हैं। उनके अनुसार, तीन बच्चों से अधिक होने पर चुनाव लड़ने की पात्रता खत्म हो जाती है, और इससे उनका राजनीतिक करियर प्रभावित हो सकता है।

नेताओं का क्या कहना है?

कई दावेदारों ने स्वीकार किया कि इस कानून के कारण उन्होंने परिवार नियोजन को प्राथमिकता दी है। “राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चलते हम सतर्क रहते हैं। हमें न केवल अपने करियर की चिंता है बल्कि यह भी समझते हैं कि सीमित परिवार समाज और देश के लिए भी जरूरी है,” एक उम्मीदवार ने नाम न बताने की शर्त पर बताया।

कंडोम की बिक्री में बढ़ोतरी

राज्य के कई जिलों में परिवार नियोजन साधनों की बिक्री में अचानक वृद्धि दर्ज की गई है। फार्मासिस्टों का कहना है कि निकाय चुनाव की घोषणा के बाद से ही कंडोम की मांग में 25-30% की बढ़ोतरी हुई है।

समाज में जागरूकता का नया दौर

यह घटना न केवल चुनावी दावेदारों के प्रति जागरूकता दिखाती है, बल्कि परिवार नियोजन और जनसंख्या नियंत्रण के महत्व को भी रेखांकित करती है।

उत्तराखंड में तीन बच्चों की सीमा वाला कानून राजनीतिक और सामाजिक दोनों ही स्तरों पर असर डाल रहा है। अब यह देखना होगा कि यह जागरूकता सिर्फ चुनावों तक सीमित रहती है या लंबे समय तक समाज में बदलाव लाने में मदद करती है।


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