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हरियाणा में AAP की हार से कांग्रेस और आप में रार” AAP ने हार का ठीकरा कांग्रेस पर फोड़ा; कहा:-“हरियाणा में आम आदमी पार्टी की भ्रूण हत्या की कोशिश की गई”

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ख़बर पड़ताल ब्यूरो:- “आप नेता ने कहा कि कांग्रेस AAP की भ्रूण हत्या करना चाहती थी, लेकिन वो नाकामयाब साबित हुई. जहां कांग्रेस के नेताओं ने प्रचार किया गठबंधन वहीं बहुत बड़े अंतर से हारा है, जहां आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने मेहनत की वहां से हम जीत गए. कांग्रेस के दिग्गज चेहरे कैमरे के सामने आकर कहें की उनसे गलती हुई है”

आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच लोकसभा चुनाव खत्म होते ही घमासान तेज हो गया है. दिल्ली और हरियाणा में आप के निराशानजक प्रदर्शन के बाद आम आदमी पार्टी के नेता कांग्रेस को घेरने में लग गए हैं. दो दिन पहले ही दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय ने कहा था कि दिल्ली विधानसभा के लिए देशभर में कोई गठबंधन नहीं बना है और हम दिल्ली में अपनी अपनी पूरी ताकत से विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे. अब हरियाणा में भी पार्टी इसी राह पर आगे बढ़ रही है।

दरअसल आम आदमी पार्टी ने दिल्ली और हरियाणा में गठबंधन कर चुनाव लड़ा था और दोनों ही राज्यों में पार्टी का खाता नहीं खुल सका. हरियाणा में आम आदमी पार्टी के खाते में चुनाव लड़ने के लिए कुरुक्षेत्र की एक सीट आई थी लेकिन यहां भी उसे हार का सामना करना पड़ा, जबकि गठबंधन की सहयोगी कांग्रेस राज्य में शून्य से बढ़कर पांच सीटें जीतने में कामयाब रही. AAP ने कुरुक्षेत्र में मिली हार का ठीकरा अब कांग्रेस नेताओं पर फोड़ना शुरू कर दिया है, आम आदमी पार्टी के हरियाणा प्रदेश के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनुराग ढांडा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला और अशोक अरोड़ा पर निशाना साधते हुए उन पर भितरघात करने का शक जताया. अनुराग ढांडा ने कहा कि कुछ ताकतों ने यह कोशिश की कि हरियाणा में आम आदमी पार्टी की भ्रूण हत्या की जाए. क्योंकि उन्हें लगा कि यदि आप कुरुक्षेत्र में जीतती है तो हरियाणा की राजनीति में तूफान आ जाएगा और बड़े राजनीतिक दलों को दिक्कत हो जाएगी. इसलिए आप की भ्रूण हत्या की साजिश की गई है।

अनुराग ढांडा ने कहा, ‘जो साजिशें कुरुक्षेत्र में की गई, उसकी असल वजह आने वाले दिनों में समीक्षा के बाद आएगी, लेकिन हमारे कार्यकर्ता जो हमें बता रहे हैं वो संदेह पैदा करता है. कैथल में जिस रणदीप सुरजेवाला को कद्दावर नेता माना जाता है. वह कई राज्यों में प्रभारी भी रहे हैं. वो पिछली बार अपने विधानसभा चुनाव में 500-700 वोटों से रह गए थे, उसके बाद बीजेपी के खिलाफ इतनी एंटी वेव भी चल रही थी, उसके बावजूद सुरजेवाला जी के इलाके से गठबंधन 17000 वोट पीछे कैसे रह गया? ये बात समझ नहीं आती है. जिस बूथ पर सुरजेवाला ने वोट किया वहां भी गठबंधन हार गया. ऐसे में तो सवाल तो उठेगा ही.’

ढांडा ने कहा, ‘अशोक अरोड़ा जो सीएम हुड्डा के राइट हैंड बताए जाते हैं, विधानसभा में महज कुछ सौ वोटों से हारे थे, उनके इलाके में अगर 18000 वोटों से गठबंधन हार जाए तो सवाल मन में जरूर उठता है. क्या गजब इत्तेफाक है कि जहां-जहां कांग्रेस के विधायक या कद्दावर नेता थे, उन-उन विधानसभा क्षेत्रों में हम लोकसभा चुनाव में हार जाते हैं. जहां कांग्रेस के कद्दावर नेता या विधायक नहीं थे, वहां हमारे कार्यकर्ता जूझ रहे थे वहां हमारे उम्मीदवार को जीत मिली. इससे समझ आता है कि या तो सुरजेवाला और अरोड़ा जी का कोई अस्तित्व नहीं रहा, लोगों ने इन्हें नकार दिया. लेकिन अगर सुरजेवाला जी का कद है तो फिर सवाल जरूर उठेंगे.’


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