ख़बर पड़ताल ब्यूरो:– उत्तराखंड निकाय चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं। नगर निगम और नगर पालिका में सभासद, पार्षद, या वार्ड सदस्य बनने का सपना देख रहे उम्मीदवार अपनी रणनीति बना रहे हैं। कोई संगठनों में सिफारिश कर रहा है तो कोई मोहल्लों में बैठकें आयोजित कर वोटर्स को रिझाने में लगा है। लेकिन इन सबके बीच राज्य निर्वाचन आयोग के नियमों की अनदेखी करना भारी पड़ सकता है।
टैक्स और बिल जमा करें वरना छूट सकता है मौका
चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए यह जरूरी है कि वे निगम के सभी बकाया हाउस टैक्स, कॉमर्शियल टैक्स और जल संस्थान के पानी के बिल तुरंत जमा कर दें। जो व्यक्ति एक वर्ष या उससे अधिक का बकायेदार है, वह चुनाव नहीं लड़ सकता।
आपराधिक मामलों में भी सख्त नियम
ऐसे व्यक्ति, जिन्हें न्यायालय ने किसी अपराध में दोषी ठहराते हुए कम से कम दो साल की सजा सुनाई हो, वे भी चुनाव नहीं लड़ सकते। हालांकि, उनकी रिहाई के पांच वर्ष बाद चुनाव लड़ने की अनुमति दी जा सकती है, यदि राज्य सरकार किसी विशेष मामले में अनुमति दे।
भ्रष्टाचार और राजद्रोह पर कड़ी शर्तें
यदि किसी को भ्रष्टाचार या राजद्रोह के मामले में पहले किसी पद से हटाया गया हो, तो वह व्यक्ति हटाने की तिथि से छह साल तक चुनाव लड़ने के अयोग्य रहेगा।
निर्वाचन आयोग के नियमों का पालन जरूरी
चुनाव का बिगुल बजने के साथ ही सरकारी मशीनरी और उम्मीदवार दोनों सक्रिय हो गए हैं। लेकिन उम्मीदवारों को निर्वाचन आयोग के नियमों की सही जानकारी होना जरूरी है। इन नियमों का पालन नहीं करने पर उनका उत्साह निराशा में बदल सकता है।
सजग रहें, नियमों का पालन करें और चुनाव की तैयारी पूरी लगन से करें।