ख़बर पड़ताल ब्यूरो:- उत्तराखंड में निकाय चुनाव का शोर तेज है। लेकिन इस बार बीजेपी की रणनीति ने बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को स्टार प्रचारक बनाकर बीजेपी ने चुनावी मैदान में उतारा है। सवाल ये है कि क्या बीजेपी के पास अब कोई और स्थानीय चेहरा नहीं बचा? हर चुनाव में मोदी और योगी के नाम पर दांव लगाना क्या बीजेपी की रणनीति है? अब सवाल ये है कि उत्तराखंड निकाय चुनाव में योगी आदित्यनाथ को शामिल कर क्या भाजपा स्थानीय मुद्दों को छोड़ हिन्दू मुस्लिम के मुद्दे पर ये चुनाव लड़ेगी??
उत्तराखंड में निकाय चुनाव को लेकर सियासी तापमान बढ़ चुका है। हर पार्टी अपने-अपने दावों के साथ जनता को लुभाने में जुटी है। लेकिन इस बार बीजेपी की ओर से एक खास चेहरा स्टार प्रचारक के तौर पर मैदान में उतरा है—उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ।
योगी आदित्यनाथ का उत्तराखंड से खास कनेक्शन है। गढ़वाल में जन्मे योगी की लोकप्रियता इस राज्य में किसी से छिपी नहीं है। लेकिन सवाल उठता है कि बीजेपी को हर चुनाव में योगी आदित्यनाथ और नरेंद्र मोदी जैसे बड़े नामों पर क्यों निर्भर रहना पड़ता है? क्या निकाय चुनाव के लिए भी योगी के चेहरे का इस्तेमाल किया जाएगा।
राजनीतिक विशेषज्ञ: “योगी आदित्यनाथ को लाना एक रणनीति हो सकती है क्योंकि उनका व्यक्तित्व और उनकी छवि हिंदुत्व और विकास दोनों को साथ लेकर चलती है। लेकिन यह भी सच है कि स्थानीय स्तर पर बीजेपी को मजबूत चेहरों की कमी महसूस हो रही है।”
केंद्र सरकार की योजनाओं, जैसे उज्ज्वला योजना, हर घर जल, और गरीब कल्याण योजनाओं के नाम पर बीजेपी जनता को साधने की कोशिश कर रही है। वहीं विपक्ष का कहना है कि बीजेपी के पास जमीनी मुद्दों का कोई हल नहीं है।
तो क्या योगी आदित्यनाथ की एंट्री से बीजेपी को जीत की गारंटी मिलेगी, या फिर स्थानीय मुद्दे इस बार हावी रहेंगे? यह देखना दिलचस्प होगा। फिलहाल, चुनावी मैदान में सियासी पिच तैयार हो चुकी है।