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चीन से फैला HMPV वायरस भारत में, उत्तराखंड में अलर्ट जारी; स्वास्थ्य विभाग ने जारी की गाइडलाइन।

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खबर पड़ताल ब्यूरो:- चीन में तेजी से फैल रहे ह्यूमन मेटा-प्न्यूमो वायरस (HMPV) ने अब भारत में भी दस्तक दे दी है। भारत में अब तक तीन मरीजों में इस वायरस की पुष्टि हो चुकी है, जिससे उत्तराखंड में स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो गया है। इस संबंध में स्वास्थ्य निदेशालय ने सभी जिलों को बचाव और रोकथाम के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग की तैयारियां

उत्तराखंड की प्रभारी डीजी हेल्थ डॉ. सुनीता टम्टा ने सभी जिलाधिकारियों और मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को निम्नलिखित निर्देश दिए हैं:

1. आइसोलेशन बेड और ऑक्सीजन की व्यवस्था:

सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में आइसोलेशन बेड, आईसीयू सेंटर, वेंटिलेटर और ऑक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।

 

2. दवा और उपकरण उपलब्धता:

मेडिकल कॉलेज, डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल, कंबाइंड अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) और प्राइमरी हेल्थ सेंटर (PHC) में दवाइयां, चिकित्सक और मेडिकल स्टाफ उपलब्ध हों।

 

3. सघन निगरानी:

सर्दी, खांसी, बुखार और निमोनिया से पीड़ित मरीजों की निगरानी की जाए।

 

आम जनता के लिए गाइडलाइंस

HMPV से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग ने आम लोगों के लिए भी कुछ अहम निर्देश जारी किए हैं:

क्या करें:

  • बच्चे, बुजुर्ग और गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोग विशेष सावधानी बरतें।
  • भीड़भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें।
  • छींकते या खांसते समय नाक और मुंह को रूमाल या टिश्यू से ढकें।
  • साबुन और पानी से हाथ साफ रखें।
  • अधिक मात्रा में पानी और पौष्टिक आहार लें।
  • सर्दी-खांसी होने पर डॉक्टर से परामर्श करें।
  • लक्षण दिखने पर दूसरों से दूरी बनाएं।
  • क्या न करें:
  • बार-बार आंख, नाक और मुंह को न छुएं।
  • सार्वजनिक जगहों पर थूकने से बचें।
  • बिना डॉक्टर की सलाह के दवा न लें।
  • संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आने से बचें।
  • इस्तेमाल किए गए टिश्यू या रूमाल को बार-बार न इस्तेमाल करें।

HMPV वायरस के लक्षण:

  • सर्दी, खांसी और बुखार।
  • सांस लेने में तकलीफ।
  • निमोनिया के लक्षण।

वर्तमान स्थिति:

हालांकि, राहत की बात यह है कि उत्तराखंड में अभी तक HMPV का कोई मामला सामने नहीं आया है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने तैयारियों को लेकर कोई कसर नहीं छोड़ी है। सावधानी और सतर्कता ही बचाव है।

 


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