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खबर पड़ताल की खबर का बड़ा असर” राशन माफियाओं पर विभाग ने कसी नकेल” जांच टीम गठित” ख़बर के बाद विभाग ने मारा दुकान पर छापा” मिली अनियमितताएं।

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ख़बर पड़ताल ब्यूरो:-जहां एक ओर प्रदेश सरकार गरीबों को मुफ्त राशन देकर राहत पहुंचाने का कार्य कर रही है। वहीं जिले में राशन माफिया गरीबों के राशन पर ही डाका डालकर करोड़ों के वारे न्यारे कर रहे है। ऐसे ही प्रकरण रुद्रपुर शहर में पकड़ा गया। जहां राशन माफिया उपभोक्ताओं को पर्ची थमाकर कई माह का राश न बेच रहे है। मामला संज्ञान में आते ही पूर्ति विभाग ने जांच कमेटी बिठाकर पांच दुकानों को चिह्नित करने का दावा किया है।

बताते चले कि शहरी और ग्रामीण इलाके में 80 से अधिक सस्ता गल्ला की दुकाने है। जिस पर हजारों गरीब परिवार के लोग अपने राशन कार्ड पर प्रदेश सरकार द्वारा चलाई गई योजना का लाभ लेकर परिवार का पेट भरते है। मगर कुछ सस्ता गल्ला विक्रेताओं ने एक ऐसा सिंडिकेट बना लिया है। जो गरीबों के राशन पर डाका डालकर राशन वितरण प्रणाली में धांधली कर रहा है। मिली जानकारी के अनुसार गल्ला विक्रेता कार्ड धारक को पर्ची थमाकर मार्च माह का राशन अप्रैल माह में दे रहे है,जबकि खाद्य गोदामों से प्रति माह धारकों की संख्या के हिसाब से राशन भेजा जा रहा है। बताया जा रहा है कि कार्ड धारकों को राशन नहीं देकर सरकारी गेहूं और चावल के राइस मिलों में बेच दिया जाता है और वहां से मुश्त मोटी रकम लेकर सरकार की राशन वितरण योजना को पलीता लगा रहे है। वहीं कार्ड धारकों को भूख बिलखने पर विवश कर रहे है। जैसे ही धांधली प्रकरण की भनक जिला पूर्ति विभाग को लगी। वैसे ही जिला पूर्ति अधिकारी श्याम लाल आर्य ने दो एआरओ की जांच कमेटी बनाकर जांच शुरू करवा दी है। प्रारंभिक पड़ताल में ही पांच सस्ता गल्ला विक्रेताओं को चिह्नित कर रिपोर्ट तैयार की गई और डीएम के आदेश के बाद कार्रवाई के लिए विभाग तैयार है। ऐसे में अनुमान यह लगाया जा रहा है कि जब शहरी इलाके में पांच दुकानदारों को धांधली में पकड़ा है, तो अनुमान लगाया जा सकता है कि जिले में कितना बड़ा राशन घोटाला प्रकरण निकल सकता है। इसके लिए पूर्ति विभाग को पारदर्शी तरीके से जांच करवाने की आवश्यकता है। तभी गरीबों की भूख को मिटाया जा सकता है।

वह इस पूरे मामले में सवाल यहां उठाते हैं कि गोदाम से मिलने वाले सरकारी संस्था गला विक्रेताओं को राशन की सत्यापित करने की जिम्मेदारी होती है तो वही एक महीने तक कार्ड धारकों को राशन न मिलने के चलते विभाग की इंस्पेक्टर जिसकी जिम्मेदारी मुख्य तौर पर थी वह सो रही थी लेकिन जब एक सोशल मीडिया पर वायरल हुई जिसकी खबर को खबर पड़ताल ने प्रमुखता के साथ दिखाया, उसके बाद जिला पूर्ति अधिकारी श्याम लाल आर्य ने खबर का संज्ञान लेते हुए एक जांच कमेटी गठित कर दी हालांकि इंस्पेक्टर पर सवाल यह खड़े होते हैं कि एक महीने से आखिरकार उसने इस पूरे प्रकरण का संज्ञान क्यों नहीं लिया।

सस्ता गल्ला राशन वितरण में धांधली होने का मामला संज्ञान में आते ही एआरओ मुख्यालय हेमा बिष्ट और एआरओ सितारगंज धर्मेंद्र सिंह धामी को प्रकरण की जांच सौंपी गई है। शिकायती पत्र के आधार और प्रारंभिक पड़ताल में चार सस्ता गल्ला विक्रेताओं को चिह्नित किया गया है। जिसकी रिपोर्ट तैयार कर जल्द ही जिलाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा और विक्रेताओं के खिलाफ लाइसेंसी निलंबन और खाद्य घोटाले में मुकदमा दर्ज कराया जाएंगा। योजना में धांधली के दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएंगी।


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