ख़बर पड़ताल ब्यूरो:- पूरे देश को डिजिटल अरेस्ट ठगी ने अपनी जद में जकड़ लिया है आए दिन कोई न कोई इस ठगी का शिकार हो रहा है, एक और मामला सामने आया है, जहां एक बुजुर्ग महिला को ठगों ने 7 दिन तक डिजिटल अरेस्ट करके रखा मामले का खुलासा कैसे हुआ जानिए इस खबर के जरिए और सावधान रहें।
लखनऊ के पीजीआई डॉक्टर को निशाना बनाया। इस बार जालसाजों ने एक डॉक्टर की मां को कॉल मिला कर सात दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखा। उन्हें धमका कर खाते से करीब 18 लाख रुपये भी ट्रांसफर कराए गए। मां का व्यवहार बदला देख बेटे को संदेह हुआ। पूछताछ करने धोखाधड़ी का पता चला। जिसकी एफआईआर शुक्रवार को साइबर थाने में दर्ज कराई गई।
चंडीगढ़ पंचकुला निवासी शिखा हलदर रिटायर शिक्षिका है। बेटा और बहू पीजीआई में डॉक्टर है। जिनके साथ शिखा एसजीपीजीआई ओल्ड कैंपस में रहती है। शिख के मुताबिक पांच नवंबर को पहली बार उन्हें कॉल आई। फोन करने वाले ने एसबीआई कस्टमर एजेंट के तौर पर परिचय दिया। एजेंट ने बताया कि शिखा के नाम से क्रेडिट कार्ड है। जिसका इस्तेमाल धोखाधड़ी के लिए हुआ है, यह बात कहने के बाद कॉल मुम्बई पुलिस को ट्रांसफर कर दी। कथित पुलिस अधिकारियों ने बताया कि शिखा मनी लांड्रिंग में शामिल है। उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हुआ है। यह बात सुन कर वह काफी डर गई। मुकदमे से बाहर निकालने के लिए रिटायर शिक्षिका पर रुपये देने का दबाव डाला गया। पांच नवंबर से 12 नवंबर तक उन्हें डिजिटल अरेस्ट रखते हुए खाते से रुपये ट्रांसफर कराए गए।
जालसाजों के खौफ से शिखा ने बेटे-बहू को भी कोई जानकारी नहीं दी थी। ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करने में अक्षम शिखा घर से बेटे-बहू को बताए बिना बैंक जाती थीं। जहां से ठगों के बताए खाते में करीब 18 लाख रुपये ट्रांसफर किए। इसके बाद भी मांग जारी रही। पीड़िता के मना करने पर उन पर एफडी तोड़ने का दबाव डाला गया। इस बीच शिखा के व्यवहार में बदलाव देख बेटे और बहू को संदेह हो गया। उनके पूछताछ करने पर शिखा ने डिजिटल अरेस्ट किए जाने की जानकारी दी। इंस्पेक्टर साइबर थाना बृजेश यादव ने बताया कि मुकदमा दर्ज कर जांच की जा रही है।