ख़बर पड़ताल ब्यूरो:- अब दूसरों की बीवियों पर बुरी नजर रखने वाले लोग सावधान हों जाएं क्योंकि देश अब नए कानून के तहत इसके लिए कठोर सजा का प्रावधान किया गया है, इन दिनों देश में 1 कुली से लागू हुए नए कानून को लेकर चर्चा जारी है इसी क्रम पर ये नया कानून भी चर्चा में आ गया है।
देश में 1 जुलाई को अंग्रेजों के जमाने से चल रहे कानूनों का राज खत्म हो गया. उनकी जगह 3 नए कानूनों- भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ने ले ली है. इनमें से BNS ने IPC (1860) की जगह ली है. नए कानून में करीब 20 नए अपराध जोड़े गए हैं. साथ ही कई अपराधों को अब भी जुर्म की श्रेणी में रखा गया है. उनमें से एक है शादीशुदा औरत को गलत इरादे से बहलाना-फुसलाना. आइए जानते हैं BNS में इसको लेकर क्या कुछ बदलाव हुए हैं।
भारतीय न्याय संहित में कुल मिलाकर 20 चैप्टर हैं. इससे पहले महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध पुराने IPC कानून में अलग-अलग बिखरे हुए थे. अब नए कानून में उन्हें एक साथ चैप्टर-5 में रखा गया है. इसमें शादी संबंधी अपराध भी शामिल है, जिनमें से धारा 84 विवाहित महिला को आपराधिक इरादा से बहलाने-फुसलाने को दंडनीय अपराध बनाती है।
क्या है BNS की धारा 84?
भारतीय न्याय संहिता की धारा 84 के तहत – जो कोई किसी ऐसी महिला को, जो किसी अन्य पुरुष की पत्नी है और वो इस बारे में जानता है, इस इरादे से ले जाता है या फुसलाता है कि वह किसी भी व्यक्ति के साथ अवैध संबंध बना सकती है, या उस इरादे से महिला को छुपाता है या हिरासत में रखता है, तो ऐसा करने वाले व्यक्ति को सजा दी जाएगी।
आसान भाषा में समझें तो आपराधिक इरादे से किसी शादीशुदा महिला को फुसलाकर उसे उसके पति से दूर ले जाना या हिरासत में रखना दंडनीय अपराध है. दोषी पाए जाने पर व्यक्ति को दो साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाएगा, भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 498 में आपराधिक इरादे से विवाहित महिला को बहला-फुसलाकर ले जाना या हिरासत में रखना अपराध है. इसमें भी दोषी को दो साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों से दंडित किए जाने का प्रावधान है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 498 के उल्लंघन की शिकायत पति की ओर से या, अगर वह मौजूद नहीं है, तो संबंधित महिला की भलाई के लिए जिम्मेदार किसी भी व्यक्ति की तरफ से दर्ज की जा सकती है, भारतीय न्याय संहिता 2023 में एडल्ट्री को शामिल नहीं किया गया है. IPC की धारा 497 में व्यभिचार (Adultery) गंभीर अपराध था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में धारा 497 को असंवैधानिक करार दिया था. धारा 497 में लिखा था, यदि कोई पुरुष यह जानते हुए भी कि महिला किसी अन्य व्यक्ति की पत्नी है और उस व्यक्ति की सहमति या मिलीभगत के बगैर ही महिला के साथ यौन संबंध बनाता है तो वह व्यभिचार के अपराध का दोषी होगा. यह बलात्कार के अपराध की श्रेणी में नहीं आयेगा।
एडल्ट्री एक दंडनीय अपराध था और इसके लिए कानून में पांच साल की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा का प्रावधान था. धारा को रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि धारा 497 मनमानी और पुरातन कानून है, जिससे महिलाओं के समता और समान अवसरों के अधिकारों का हनन होता है।
रिपोर्ट: साक्षी सक्सेना