पाकिस्तान में चुनावी नतीजे के तीन हफ्ते बाद अगली सरकार का गठन हो गया है. शहबाज शरीफ फिर से पीएम बनने जा रहे हैं. प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद उन्होंने नेशनल असेंबली में ‘कश्मीर और फिलिस्तीन की आजादी’ के लिए एक प्रस्ताव पारित करने की अपील की….
पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) अध्यक्ष शहबाज शरीफ रविवार को लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री पद के लिए चुन लिए गए हैं। प्रधानमंत्री पद पर चुने जाने के साथ ही उन्होंने कश्मीर का राग अलापा है। साथ ही पड़ोसियों सहित सभी प्रमुख देशों के साथ संबंध सुधारने का वादा किया।
शहबाज ने फिर अलापा कश्मीर का राग
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान किसी भी खेल का हिस्सा नहीं बनेगा और उनकी सरकार दोस्तों की संख्या बढ़ाएगी। हम समानता के आधार पर पड़ोसियों के साथ संबंध बनाए रखेंगे। उन्होंने कश्मीर मुद्दा उठाते हुए इसकी तुलना फलस्तीन से की। उन्होंने कहा कि नेशनल असेंबली को कश्मीरियों और फलस्तीनियों की आजादी के लिए एक प्रस्ताव पारित करना चाहिए।
अर्थव्यवस्था पर जताई चिंता
अपने संबोधन के दौरान उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था पर चिंता जताई। वह अपना कार्यकाल तब शुरू कर रहे हैं, जब देश एक खरब रुपये से अधिक के बजटीय घाटे का सामना कर रहा है। हम सशस्त्र बलों और सिविल सेवकों को वेतन कैसे देंगे। पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि सारा खर्च केवल ऋण के माध्यम से पूरा किया जा रहा है। ये सभी (सदन चलाने का खर्च) पिछले कुछ वर्षों से ऋण के माध्यम से पूरे किए जा रहे हैं। हालांकि, उन्होंने खराब अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने का संकल्प लेने के साथ ही 2030 तक जी 20 सदस्यता पाने का संकल्प लिया।
उन्होंने कहा कि देश को केवल ब्याज के रूप में अरबों रुपये का भुगतान करना पड़ता है। बिजली उत्पादक कंपनियों पर बढ़ते कर्ज के कारण ऊर्जा क्षेत्र चरमरा रहा है। पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस जैसी सरकारी स्वामित्व वाली संस्थाएं अरबों रुपये घाटे में चल रही हैं। उन्होंने देश को विकास की राह पर ले जाने का वादा किया और सभी बाधाओं को दूर करने की घोषणा की।
देश को संकट से बाहर निकालने के लिए सरकार प्रतिबद्धः शहबाज
शहबाज ने कहा कि सरकार देश को मौजूदा संकट से बाहर निकालने के लिए प्रतिबद्ध है। मैं कोई समय सीमा तय नहीं करना चाहता, लेकिन हम जो कदम उठाएंगे, उसके सकारात्मक परिणाम एक साल बाद मिलने शुरू हो जाएंगे। शहबाज ने यह भी सवाल किया कि इमरान खान ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष को पत्र क्यों लिखा। इसे उन्होंने देश के मामलों में विदेशी हस्तक्षेप को आमंत्रित करने के समान बताया।