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*रुद्रपुर:- महिला की बेरहमी से हत्या” 13 साल बाद मृतका को मिला न्याय, कोर्ट ने सुनाई ये सजा।*

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ख़बर पड़ताल ब्यूरो:- बाजपुर में 13 साल पहले हुए तस्लीमा उर्फ शिम्मी हत्याकांड में अदालत ने दोषी दिलशाद को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। द्वितीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश मीना देउपा की अदालत ने दोषी पर 50 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है।

घटना का विवरण

17 सितंबर 2011 को केलाखेड़ा के ग्राम सरकड़ी में एक महिला का शव मिला था। मृतका की पहचान पीलीभीत के पूरनपुर निवासी ताज मोहम्मद की बेटी तस्लीमा के रूप में हुई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि उसकी गला घोंटकर हत्या की गई थी। पुलिस जांच में सामने आया कि उसके हाथ पर ‘दिलशाद’ और ‘शिम्मी’ नाम लिखा था, जबकि मुट्ठी में कुछ बाल मिले थे।

मृतका के पिता ताज मोहम्मद ने पुलिस को बताया कि उनकी बेटी 3 सितंबर 2011 से लापता थी। उन्होंने दिलशाद पर शक जताया, जो आखिरी बार तस्लीमा को बाइक पर ले जाते देखा गया था। जांच के बाद पुलिस ने 20 सितंबर 2011 को मुरादाबाद के रामपुर दोराहा निवासी दिलशाद को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। हालांकि, जमानत पर रिहा होने के बाद वह फरार हो गया और उसके खिलाफ वारंट जारी हुए।

वैज्ञानिक साक्ष्यों और गवाहों ने दिलशाद को दोषी साबित किया

केस की विवेचना तत्कालीन केलाखेड़ा चौकी इंचार्ज और वर्तमान इंस्पेक्टर योगेश उपाध्याय ने की थी। उन्होंने बताया कि वैज्ञानिक साक्ष्य और गवाहों के आधार पर अदालत में दिलशाद का अपराध सिद्ध हुआ।

पहली पत्नी के होते शिम्मी से किया प्रेम, फिर की हत्या

पुलिस जांच में सामने आया कि दिलशाद पहले से शादीशुदा था। उसकी पत्नी जीनत थी और वह गदरपुर में किराये पर रहता था। रूई की दुकान पर काम करने वाले दिलशाद का प्रेम प्रसंग तस्लीमा उर्फ शिम्मी से हो गया था, जिसे उसने किराये के मकान में रखा था। शादीशुदा होने के कारण दोनों के बीच विवाद बढ़ गया। इसी के चलते दिलशाद 3 सितंबर को शिम्मी को बाइक पर घुमाने के बहाने केलाखेड़ा ले गया और वहां गन्ने के खेत में गला दबाकर उसकी हत्या कर दी।

न्यायालय का फैसला

गवाहों और सबूतों के आधार पर अदालत ने दिलशाद को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। साथ ही, उसे 50 हजार रुपये का अर्थदंड भरने का भी आदेश दिया गया।


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