प्रभारी ए-आर खंडूरी मेहरबान तो एडीओ पहलवान” 3 माह पूर्व तबादले की सूची जारी होने के बावजूद जिले में मौज काट रहे तबादला हुए अधिकारी, शासन के आदेशो के बाबजूद जिले से रिलीव करने को डीआर / प्रभारी एआर खंडूरी तैयार नही- शासन से बड़ा प्रभारी एआर ऊधमसिंह नगर।
मंत्री जी” ऊधमसिंह नगर में तबादला आदेश के बावजूद सहकारिता विभाग में वर्षों से जमे अधिकारी, एआर की मेहरबानी से शासनादेश की उड़ा रहे धज्जियां।
राजीव चावला/ एडिटर ।
ख़बर पड़ताल। ऊधमसिंह नगर जनपद में सहकारिता विभाग एक बार फिर सवालों के घेरे में है। विभाग में तबादला आदेश जारी हुए तीन महीने बीत चुके हैं, लेकिन कई अधिकारी अब भी जिले में ही डटे हुए हैं। इनमें प्रमुख रूप से सहायक विकास अधिकारी सहकारिता (एडीओ) रुचि शुक्ला और अपर्णा बलदिया का नाम शामिल है, जो पिछले 7 से 8 साल से जिले में पदस्थापित हैं।
ट्रांसफर आदेश जून 2025
जानकारी के अनुसार, एडीओ रुचि शुक्ला का तबादला शासन द्वारा तीन माह पहले कर दिया गया था। नियमावली के अनुसार, किसी भी अधिकारी का तीन वर्ष से अधिक समय तक एक ही स्थान पर तैनात रहना अनुचित माना जाता है, लेकिन रुचि शुक्ला पिछले 8 साल से ऊधमसिंह नगर में ही जमी हुई हैं। तबादले के बावजूद, विभाग में तैनात प्रभारी एआर हरीश चंद खंडूरी उन्हें रिलीव नहीं कर रहे हैं।
इसी तरह एडीओ अपर्णा बलदिया का भी कई माह पूर्व जिले से बाहर तबादला हो चुका है। लेकिन उन्हें भी जिले से बाहर भेजने के बजाय, जिले के भीतर ही एक स्थान से दूसरे स्थान पर तैनात कर इतिश्री कर दी गई। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि जब शासनादेश स्पष्ट रूप से तीन वर्ष में तबादले की बात कहता है, तब भी इन अधिकारियों को जिले से बाहर क्यों नहीं भेजा जा रहा है।
स्थानीय लोग और विभागीय सूत्र इस पूरे प्रकरण को “चहेतों को संरक्षण देने” की नीति मान रहे हैं। चर्चाएं हैं कि प्रभारी एआर हरीश चंद खंडूरी अपने “चहेते अधिकारियों” को बचाने के लिए शासनादेश की अनदेखी कर रहे हैं। यह मामला विभाग में गहरी जड़ें जमा चुके “सेटिंग और गेटिंग” के खेल को उजागर करता है।
वहीं, इस मामले पर स्पष्टीकरण लेने के लिए जब खबर पड़ताल की टीम ने प्रभारी एआर हरीश चंद खंडूरी से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की, तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।
अब सवाल यह है कि क्या शासन का आदेश ऊधमसिंह नगर में लागू नहीं होता? क्या सहकारिता विभाग के अधिकारी शासन से बड़े हो गए हैं? अगर नहीं, तो फिर तबादला आदेश के बावजूद इन अधिकारियों को अब तक क्यों नहीं रिलीव किया गया?
यह मामला शासन के लिए गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि इससे साफ संकेत मिलते हैं कि जिले में तबादला नीति का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। जरूरत है कि शासन तत्काल इस मामले में संज्ञान ले और ऐसे अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई कर विभाग में पारदर्शिता सुनिश्चित करे।