धान क्रय-विक्रय केंद्रों में गड़बड़ियों मे शामिल अधिकारियों के आशीर्वाद से नहीं हो रहे ट्रांसफर लागू? — निबंधक के सख्त आदेशों के बावजूद उधम सिंह नगर सहित कई जिलों में अधिकारी अब तक नहीं हुए रिलीव, धान सीजन में सक्रिय होने लगे पुराने अधिकारी।
राजीव चावला/ एडिटर
देहरादून/रुद्रपुर।
उत्तराखंड में सहकारिता विभाग के वार्षिक स्थानांतरण आदेशों के बावजूद कई अधिकारी अब तक अपने पुराने पदों पर जमे हुए हैं। जबकि निबंधक, सहकारी समितियाँ, उत्तराखंड, देहरादून ने 1 जुलाई 2025 को जारी पत्रांक 4805-06/प्रशा० अनु०-1/2025-26 के माध्यम से स्पष्ट निर्देश दिए थे कि स्थानांतरित कर्मचारियों को तत्काल कार्यमुक्त किया जाए, अन्यथा उनका वेतन रोका जाएगा। इसके बावजूद उधम सिंह नगर समेत कई जिलों में इन आदेशों की खुलेआम अवहेलना जारी है।
दरअसल, अब जब प्रदेशभर में धान क्रय-विक्रय सीजन शुरू हो चुका है, तो सहकारिता विभाग में यह चर्चा गर्म है कि कई अधिकारी जानबूझकर रिलीव नहीं हो रहे ताकि वे इस सीजन में अपने “हित” साध सकें। सूत्रों के अनुसार, उधम सिंह नगर जिले में तैनात कई अधिकारियों पर पहले भी धान क्रय-विक्रय केंद्रों में गड़बड़ी और धांधली के आरोप लग चुके हैं। इसके बावजूद वही अधिकारी अभी भी जिले में अपनी कुर्सियों पर टिके हुए हैं।
आदेश की कॉपी
जून 2025 में जारी तबादला सूची के अनुसार, कई अधिकारियों को विभिन्न जिलों में स्थानांतरित किया गया था। लेकिन अब चार महीने बीत जाने के बाद भी इन अधिकारियों ने कार्यभार नहीं छोड़ा। यह स्थिति तब है जब विभागीय आदेशों में साफ-साफ कहा गया है कि यदि स्थानांतरित अधिकारी रिलीव नहीं होते हैं तो उनका वेतन आहरित न किया जाए।
विभागीय सूत्रों का कहना है कि उधम सिंह नगर जैसे जिलों में धान खरीद सीजन को “लाभकारी अवसर” के रूप में देखा जाता है। इसलिए कुछ अधिकारी स्थानीय रसूख और आंतरिक मिलीभगत के बल पर स्थानांतरण आदेशों को टालते आ रहे हैं। यह भी बताया जा रहा है कि स्थानीय स्तर पर कुछ उच्च अधिकारी इन कार्मिकों को मौन समर्थन दे रहे हैं, जिससे वे अब तक जिले में जमे हुए हैं।
निबंधक कार्यालय ने इस पर नाराज़गी जताते हुए यह भी कहा है कि यह स्थिति विभागीय अनुशासन की खुली अवहेलना है। आदेशों में स्पष्ट लिखा गया है कि “जब तक स्थानांतरित अधिकारी नव तैनाती स्थल पर कार्यभार ग्रहण नहीं करते, तब तक उनका वेतन रोका जाएगा।” इसके बावजूद जिलास्तर पर आदेशों का पालन न होना शासन की साख पर सवाल खड़ा कर रहा है।
यह भी गौर करने योग्य है कि उधम सिंह नगर में पिछले वर्षों में धान क्रय-विक्रय केंद्रों पर अनियमितताओं, कमीशनखोरी और फर्जी भुगतान के कई मामले सामने आ चुके हैं। कई बार शिकायतों के बावजूद संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। अब जब नये सीजन की शुरुआत हो चुकी है, तो वही अधिकारी दोबारा सक्रिय होते दिखाई दे रहे हैं, जिससे किसानों के हितों पर खतरा मंडराने लगा है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि “जब विभाग के अंदर ही कुछ अधिकारी स्थानांतरित कर्मियों को संरक्षण दे रहे हों, तो आदेशों का पालन होना मुश्किल है। ऐसे में कार्रवाई तभी प्रभावी होगी जब उच्च स्तर से सख्त कदम उठाए जाएंगे।”
‘जब सैयाँ भए कोतवाल तो डर काहे का’ — यह कहावत इस स्थिति पर पूरी तरह सटीक बैठती है। क्योंकि जब विभाग के कुछ अधिकारी ही स्थानांतरण आदेशों की अनदेखी में शामिल हों, तो फिर कार्मिकों से पालन की उम्मीद कैसे की जा सकती है?
अब देखना यह होगा कि निबंधक सहकारी समितियाँ उत्तराखंड द्वारा दी गई अंतिम चेतावनी के बाद विभागीय स्तर पर कितनी तेजी से कार्यवाही होती है, और क्या वाकई वे अधिकारी जो महीनों से पुराने पद पर जमे हैं, वास्तव में रिलीव किए जाएंगे या फिर धान क्रय-विक्रय सीजन के बाद तक मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा।