
ख़बर पड़ताल ब्यूरो:- “नई दिल्ली सीट से एक निर्दलीय उम्मीदवार ने सबका ध्यान खींचा है। ये हैं दिल्ली पुलिस के कॉन्स्टेबल पंकज शर्मा, जो चुनाव लड़ने के कारण अब निलंबित हो चुके हैं। आखिर क्या है पूरा मामला? आइए जानते हैं इस रिपोर्ट में।”
“40 साल के पंकज शर्मा दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल रहे हैं और 2008 के चर्चित बाटला हाउस एनकाउंटर में भी शामिल थे। लेकिन इस बार वह चर्चा में हैं नई दिल्ली सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने को लेकर।”
“दिल्ली में बढ़ता अपराध एक बड़ी समस्या है, और मैं इसे खत्म करने के लिए बेहतरीन विकल्प दे सकता हूं। मैं एक पुलिसकर्मी होने से पहले दिल्ली का नागरिक हूं।”
“हालांकि, दिल्ली पुलिस ने पंकज शर्मा को 29 जनवरी को आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप में निलंबित कर दिया। पुलिस के मुताबिक, सरकारी सेवा में रहते हुए चुनाव लड़ना नियमों के खिलाफ है।”
हरेश्वर स्वामी, डीसीपी:
“जैसे ही हमें सूचना मिली कि वह पुलिस बल में रहते हुए चुनाव लड़ रहे हैं, हमने तुरंत कार्रवाई की और उन्हें निलंबित कर दिया।”
“इतना ही नहीं, पंकज शर्मा पर चुनाव आयोग को गलत जानकारी देने का भी आरोप है। उन्होंने अपने हलफनामे में ‘सामाजिक कार्यकर्ता’ के रूप में खुद को दर्ज किया था।”
पंकज शर्मा:
“क्या कोई सरकारी कर्मचारी सामाजिक कार्यकर्ता नहीं हो सकता? मेरे पास राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले की कॉपी है, जिसमें एक सरकारी डॉक्टर को चुनाव लड़ने की अनुमति दी गई थी।”
“चुनाव आयोग के मुताबिक, नई दिल्ली सीट से 23 उम्मीदवार मैदान में थे। इस सीट पर बीजेपी के प्रवेश वर्मा आगे चल रहे हैं, जबकि अरविंद केजरीवाल दूसरे नंबर पर हैं। वहीं, पंकज शर्मा को अब तक सिर्फ 5 वोट मिले हैं।”
“पंकज शर्मा के चुनाव लड़ने के फैसले ने नई बहस छेड़ दी है – क्या सरकारी कर्मचारियों को चुनाव लड़ने का हक मिलना चाहिए? या यह नियमों का उल्लंघन है? इस पर आपकी क्या राय है? हमें कमेंट में बताएं।”