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मुस्लिम युवक ने रामलीला में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका, पेश की सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल

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ख़बर पड़ताल:- यह समाचार सांप्रदायिक सौहार्द और सामाजिक एकता का एक महत्वपूर्ण उदाहरण प्रस्तुत करता है। श्री राम नाटक क्लब रुद्रपुर द्वारा आयोजित होने वाली रामलीला में इदरीश अहमद “गोला” का 28 वर्षों से रामलीला में भाग लेना और विशेष रूप से निकुंभला देवी का किरदार निभाना उस भाईचारे की मिसाल है, जो भारत की सांस्कृतिक विविधता का हिस्सा है। यह ख़बर न केवल धार्मिक सहिष्णुता की बात करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि सांस्कृतिक मंच किस प्रकार से अलग-अलग समुदायों को जोड़ने का काम करता है।

धार्मिक सहिष्णुता और एकता: रामलीला जैसे हिंदू धार्मिक नाटक में एक मुस्लिम कलाकार की सक्रिय भागीदारी इस बात को उजागर करती है कि धर्म के बावजूद, कला और संस्कृति में सभी का स्वागत होता है। यह हमारे समाज के सर्वधर्म समभाव की भावना को और भी मज़बूत करता है।

सांप्रदायिक एकता: इदरीश अहमद का इस प्रकार की भूमिका निभाना भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब का प्रतिबिंब है, जहाँ लोग अपनी धार्मिक मान्यताओं से परे एक-दूसरे का सम्मान करते हैं और उत्सवों में भागीदारी निभाते हैं।

परंपराओं का सम्मान: 28 वर्षों से इदरीश रामलीला में काम कर रहे हैं, जो यह दर्शाता है कि उन्होंने इस कला और परंपरा को कितनी गहराई से अपनाया है। यह परंपराओं के प्रति सम्मान और उनके प्रति गहरी निष्ठा को प्रदर्शित करता है।

समाज को संदेश: यह ख़बर समाज को एक सकारात्मक संदेश देती है कि धार्मिक और सांस्कृतिक विभाजन को पाटकर लोग एकजुट होकर, प्रेम और भाईचारे के साथ रह सकते हैं। यह खासकर वर्तमान समय में बहुत महत्वपूर्ण है, जब सांप्रदायिक तनाव अक्सर सुर्खियों में रहता है।

समाचार के इस पहलू को और अधिक प्रासंगिक बनाने के लिए, यह दर्शाना आवश्यक है कि किस प्रकार इदरीश अहमद “गोला” जैसे लोग समाज को एकता और सहिष्णुता का पाठ पढ़ाते हैं, और यह कि किस प्रकार कला और संस्कृति का मंच सामाजिक बदलाव का माध्यम बन सकता है।


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