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*”लुटेरा दारोगा”, पहले बनाई नकली क्राइम ब्रांच की टीम, फिर डरा धमकाकर व्यापारी से लूट लिए 42 लाख रुपए; दारोगा सहित 3 गिरफ्तार; इस तरह हुआ पर्दाफाश।*

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ख़बर पड़ताल ब्यूरो:- दरोगा के भेष में लुटेरा देखने को मिला जहां एक दरोगा फर्जी क्राइम ब्रांच की टीम बनाकर लोगों से लूट की वारदात को अंजाम दे रहा था हालाकि जुर्म कितने भी छिपा लिया जाए सामने आ ही जाता है, बता दें की पुलिस ने व्यापारी के साथ 42 लाख 50 हजार रुपए की लूट करने वाले दारोगा सहित 3 लोगों को गिरफ्तार कर लिया, जानकारी के लिए बता दें की आरोपी दारोगा ने दो दिन पहले बस से जा रहे एक व्यापारी को डरा-धमकाकर उसके पास से 42 लाख 50 हजार रुपए ले लिए थे।

मामला उत्तर प्रदेश का है जहां चंदौली और वाराणसी के बॉर्डर पर 22 जून की रात को एक ज्वेलरी व्यापारी के साथ लूट की घटना हुई थी. इस दौरान आरोपियों ने व्यापारी से कुल 42 लाख 50 हजार रुपए की लूट की थी. वहीं पुलिस को सूचना मिलते ही आरोपियों की तलाश शुरू कर दी गई थी. मामले में पुलिस ने सर्विलांस के जरिए वाराणसी कैंट थाने से संबंधित आरोपी दारोगा सूर्य प्रकाश पांडे समेत उसके दो अन्य साथियों को गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस ने लूट की घटना में शामिल दारोगा सूर्य प्रकाश पांडे सहित उसके दो साथियों को साक्ष्य के आधार पर गिरफ्तार किया है. साथ ही पुलिस द्वारा लूट की घटना में शामिल आरोपी दारोगा से पूछताछ की जा रही है. जानकारी के मुताबिक, भुल्लनपुर बस स्टेशन से एक बस पर 22 जून की रात को एक आरोपी अजय गुप्ता अवैध पिस्टल लेकर बैठा. इसी दौरान कटारिया पेट्रोल पंप के पास बस की जांच के नाम पर आरोपी दारोगा सूर्य प्रकाश पांडे ने उसे रुकवा लिया।

डरा-धमकाकर व्यापारी से लूटे रुपए

बस रुकवा कर दारोगा सूर्य प्रकाश पांडे ने अजय गुप्ता और फिर व्यापारी को बस से उतरवाकर जांच की. इस दौरान दारोगा ने अजय गुप्ता को तो छोड़ दिया, लेकिन व्यापारी को डरा धमकाकर 42 लाख 50 हजार की लूट की. फिलहाल गिरफ्तार लोगों के पास से 8 लाख 5 हजार रुपए नकद और दो पिस्टल 32 बोर, जिंदा कारतूस और घटना में प्रयुक्त की गई एक बाइक रामनगर थाना पुलिस ने बरामद की है. पुलिस ने जानकारी दी कि व्यापारी के पास उस समय 93 लाख रुपए थे, जिसमें से 42 लाख 50 हजार की लूट हुई थी।

व्यापारियों की आधी रकम लूटने के बाद छोड़ देते थे आरोपी

पुलिस ने बताया कि अपराध करने की इनका अलग ही तरीका था. मुखबिर की सूचना पर ये व्यापारियों को क्राइम ब्रांच की टीम के रूप में संदिग्ध वस्तु के नाम पर रोककर उनकी तलाशी लेते थे, जितना भी कैश व्यापारियों के पास से मिलता था, उसका आधा ये रख लेते और घटना का जिक्र किसी से भी न करने की हिदायत देते थे. इसके पीछे इनका मकसद था कि व्यापारी दबाव में इसकी चर्चा किसी से नही करेंगे।

रिपोर्ट: साक्षी सक्सेना 


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