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जानिए क्यों” एल्विश यादव केस: गाजियाबाद पुलिस कमिश्नर की बड़ी कार्रवाई, शहर कोतवाल धर्मपाल सस्पेंड; अहम गवाहों को मिली सुरक्षा

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ल्विश यादव केस: गाजियाबाद पुलिस कमिश्नर की बड़ी कार्रवाई, शहर कोतवाल धर्मपाल सस्पेंड; अहम गवाहों को मिली सुरक्षा

गाजियाबाद। हाई-प्रोफाइल एल्विश यादव स्नेक वेनम केस में गवाहों की सुरक्षा को लेकर गाजियाबाद पुलिस की गंभीर लापरवाही सामने आई है। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पहले ही गवाहों को सुरक्षा देने के आदेश के बावजूद स्थानीय पुलिस ने इसका पालन नहीं किया। नतीजा यह हुआ कि गवाहों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अवमानना याचिका दाखिल की। इसी याचिका पर सोमवार तक सुप्रीम कोर्ट में गाजियाबाद पुलिस को जवाब दाखिल करना था।

सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल करने से महज कुछ घंटे पहले, रविवार देर रात गाजियाबाद पुलिस कमिश्नर ने तत्काल कार्रवाई करते हुए शहर कोतवाल धर्मपाल (पूर्व नंदग्राम थाना प्रभारी) को निलंबित कर विभागीय जांच बिठा दी।


जांच में धर्मपाल दोषी साबित, अन्य अधिकारी भी घेरे में

विभागीय जांच की प्राथमिक रिपोर्ट में यह साबित हुआ कि धर्मपाल ने अदालत के आदेशों का पालन नहीं किया और गवाहों को सुरक्षा नहीं दी। यही वजह रही कि उन्हें मुख्य दोषी मानते हुए तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया। हालांकि, जांच रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि इस मामले में कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी बराबर के दोषी हैं। माना जा रहा है कि विभागीय जांच आगे बढ़ने पर और भी नाम उजागर होंगे।

पुलिस कमिश्नर की इस कार्रवाई को एक तरफ संवेदनशील मामलों में सख्ती का संदेश देने के रूप में देखा जा रहा है, तो दूसरी ओर इसे “खुद को बचाने की कोशिश” भी करार दिया जा रहा है।


अहम गवाह गौरव और सौरभ गुप्ता को सुरक्षा

इस प्रकरण के अहम गवाह गौरव गुप्ता और सौरभ गुप्ता, जो मेनका गांधी की संस्था पीपल फॉर एनिमल्स से जुड़े हुए हैं, को आखिरकार सुरक्षा मुहैया करा दी गई है। गाजियाबाद पुलिस ने दोनों गवाहों की सुरक्षा के लिए चार पुलिसकर्मियों की 24 घंटे तैनाती की है।

याद दिला दें कि इन्हीं गवाहों ने नोएडा में हुए स्नेक वेनम केस का पर्दाफाश किया था, जिसमें बड़ी हस्तियों के नाम सामने आए और मामला राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में रहा। इसी वजह से उनकी जान को खतरा माना जा रहा था और अदालत ने पहले ही उन्हें सुरक्षा प्रदान करने का आदेश दिया था।


अदालत के आदेशों की खुली अवहेलना

गवाहों को सुरक्षा न देकर गाजियाबाद पुलिस ने न सिर्फ जिला अदालत, बल्कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की भी खुली अवहेलना की। इस संवेदनशील मामले में गवाहों को बार-बार सुप्रीम कोर्ट का रुख करना पड़ा। अवमानना याचिका दाखिल होने और अदालत से जवाब मांगे जाने के बाद ही पुलिस हरकत में आई और आनन-फानन में कोतवाल धर्मपाल पर कार्रवाई कर दी।

यह पूरा घटनाक्रम गाजियाबाद पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है—क्या संवेदनशील मामलों में भी पुलिस अदालत के आदेशों को हल्के में ले रही है? क्या शीर्ष अदालत के आदेशों का पालन केवल दबाव पड़ने पर ही किया जाएगा?


पुलिस महकमे में हड़कंप

शहर कोतवाल धर्मपाल पर कार्रवाई की खबर से गाजियाबाद पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है। सूत्रों का कहना है कि यह मामला न केवल जिले में, बल्कि पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया है। कार्रवाई से यह भी संकेत गया है कि अब गवाहों की सुरक्षा में कोई भी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

निष्कर्ष

एल्विश यादव केस से जुड़ी यह ताजा कार्रवाई एक बड़ा संदेश देती है कि अदालतों के आदेशों की अनदेखी कर पुलिस अब बच नहीं पाएगी। हालांकि सवाल अभी भी बाकी हैं—क्या केवल कोतवाल धर्मपाल ही इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार थे या फिर उच्च स्तर पर भी आदेशों को नजरअंदाज किया गया? विभागीय जांच आगे बढ़ने पर इस मामले की और परतें खुलने की संभावना है।

Rajeev Chawla


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