कुमाऊं के जाने माने और सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में से एक डॉ. सुशीला तिवारी अस्पताल (एसटीएच) से बड़े घपले का मामला सामने आया है, स्वास्थ्य विभाग में घपला सामने आया है। हल्द्वानी में डॉ. सुशीला तिवारी अस्पताल (एसटीएच) में लाखों रुपये के घपले का मामला सामने आया है। केंद्रीय लैब एवं रेडियोलॉजी की जांच की लाखों रुपये की फीस कर्मचारियों ने मरीजों से तो ली थी।
लेकिन इसे एसटीएच के खाते में जमा नहीं किया। यहां तक कि इससे संबंधित रसीद बुक तक गायब कर दी गईं। राजकीय मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने इस मामले में जांच बैठा दी है। उधर, जांच में एक महिला कर्मचारी के घर से कई रसीद बुक बरामद हुई हैं।
एसटीएच में होने वाली जांचों की मैनुअल बिलिंग की जाती है। बिल काउंटर में तैनात कर्मचारी रसीद काटकर जांच का पैसा जमा करते हैं। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. जीएस तितियाल ने बताया कि दो दिन पहले अकाउंट की जांच में सामने आया कि कुछ रसीद बुकें गायब हैं।
इनके जरिए लिया पैसा भी जमा नहीं किया गया है। डॉ. तितियाल ने कहा कि यह घपला कितने का है और कब से किया जा रहा है, इसकी जांच की जा रही है।
महिला कर्मी के घर से रसीद बुक मिलीं एसटीएच प्रबंधन की अब तक की जांच में सामने आया कि एक महिला कर्मी बिलिंग काउंटर की रसीद बुकों को घर ले गई। करीब 20 रसीद बुक उसके घर से बरामद की गई हैं। अस्पताल प्रबंधन के अनुसार इस महिला कर्मी ने कुछ रकम जमा करा दी है।
बिलिंग में अनियमितता का मामला बेहद गंभीर है। रसीद बुक घर क्यों ले जाई गई। कितनी रकम का घपला हुआ है। जांच के आदेश दे दिए हैं। जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी। डॉ. अरुण जोशी, प्राचार्य, राजकीय मेडिकल कॉलेज, हल्द्वानी
अस्पताल में हुईं जांचें और बिलों में मिला भारी अंतर एसटीएच में बिलिंग काउंटर में बिल काटकर मरीज को दिया जा रहा था। लेकिन इसका पैसा अस्पताल के बैंक खाते में जमा नहीं किया जा रहा था। अस्पताल में हुई जांचों और बिलिंग में अंतर आने पर लेखा विभाग ने मामले की पड़ताल की तो रुपयों का भारी अंतर सामने आया।
जानकारी के अनुसार बिलिंग का पैसा डकारने का यह खेल काफी महीनों से चल रहा था। जबकि व्यवस्था यह है कि बिलिंग का पैसा रोज बैंक में जमा होता है और काटी गई रसीदों की भी रोज जांच होती है। इन हालात में बिलिंग सेक्शन के साथ-साथ अस्पताल का लेखा विभाग भी संदेह के दायरे में हैं। जिसकी भी जांच की जाएगी।
फेल एचआईएस सिस्टम घपले की वजह
पहले एसटीएच में इन्फॉरमेशन सिस्टम यानि एचआईएस के जरिए ऑनलाइन बिलिंग होती थी। अस्पताल का विस्तार होने पर एचआईएस सिस्टम धीमा पड़ गया। जिसके बाद यहां मैनुअल बिलिंग शुरू कर दी गई। इस वैकल्पिक व्यवस्था में यह घपला सामने आ गया। राज्य के अन्य सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों में बिलिंग ऑनलाइन होती है।