सीबीआई जांच की मांग, कहा– राजनीतिक संरक्षण में हो रहा करोड़ों का घोटाला

रुद्रपुर — उत्तराखंड बीज एवं तराई विकास निगम (टीडीसी) में बड़े पैमाने पर घोटाले के आरोप लगाते हुए पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल ने सोमवार को निगम के अस्थायी मुख्यालय पत्थरचट्टा में प्रबंध निदेशक कार्यालय के बाहर सांकेतिक धरना दिया। उन्होंने सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत मांगी गई जानकारी एक माह बाद भी न मिलने पर अधिकारियों की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए।
पूर्व विधायक ठुकराल ने कहा कि उन्होंने 24 मई को आरटीआई के माध्यम से निविदा घोटाले से संबंधित पत्रावलियों की जानकारी मांगी थी और इसके लिए ₹100 व बाद में ₹628 की राशि भी नियमानुसार जमा कराई गई थी, बावजूद इसके आज तक कोई जानकारी उन्हें नहीं दी गई। उन्होंने आरोप लगाया कि टीडीसी अधिकारी भ्रष्ट नेताओं और अफसरों से मिलीभगत कर जानबूझकर जानकारियां छिपा रहे हैं।
पूर्व विधायक ने लगाए कई गंभीर आरोप:
ठुकराल ने कहा कि पंतनगर एयरपोर्ट के विस्तार की जद में आ रहे निगम के भवनों, मशीनरी, बीज विधायन संयंत्रों और अन्य परिसरों को कम मूल्यांकन कराकर निविदा प्रक्रिया के जरिये औने-पौने दामों पर नीलाम किया गया, ताकि सरकारी संपत्ति को निजी हाथों में सौंपा जा सके।
उन्होंने यह भी कहा कि पहले भी टीडीसी में घोटाले में शामिल अधिकारी कोर्ट के आदेश पर हल्द्वानी जेल जा चुके हैं, और अब उन्हीं अधिकारियों को फिर से निगम के महत्वपूर्ण कार्य सौंप दिए गए हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि जिन ठेकेदारों ने निविदा की पूरी राशि भी नहीं जमा की, उन्हें राजनीतिक संरक्षण में भवन तोड़ने और करोड़ों की सरकारी संपत्ति ले जाने की छूट कैसे दी जा रही है?
मुख्यमंत्री से की सीबीआई जांच की मांग:
पूर्व विधायक ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और मुख्य सचिव आनंदवर्धन से टीडीसी घोटाले की सीबीआई से जांच कराने की मांग करते हुए कहा कि इस पूरे मामले में कई वरिष्ठ अधिकारी और नेता शामिल हैं, जिन्हें संरक्षण प्राप्त है।
धरना समाप्त करवाने पहुंचे अधिकारी:
धरने के दौरान मुख्य बीज उत्पादन अधिकारी व लोक सूचना अधिकारी दीपक पांडे मौके पर पहुंचे और पूर्व विधायक को अपने कार्यालय ले जाकर बातचीत की। इस बीच निगम कार्यालय परिसर में सुरक्षा व्यवस्था भी बढ़ा दी गई थी।
पूर्व विधायक ने चेतावनी दी कि यदि जल्द ही उन्हें सूचना उपलब्ध नहीं कराई गई और दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो वह जनआंदोलन शुरू करेंगे।
यह मामला अब राजनीतिक तूल पकड़ता जा रहा है और राज्य सरकार पर पारदर्शिता को लेकर सवाल उठ रहे हैं।