रुद्रपुर। त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में जहां एक ओर उम्मीदवार जनता के भरोसे और मेहनत के बल पर जीत दर्ज करते हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ लोग नियम-कायदों की धज्जियां उड़ाकर सफलता हासिल करने से भी पीछे नहीं हटते। ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जिसमें निर्विरोध बीडीसी सदस्य बनी एक महिला पर हाई स्कूल की फर्जी मार्कशीट जमा करने का गंभीर आरोप लगा है। मामला सामने आने के बाद पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।

सोशल वर्कर ने उठाई जांच की मांग
वार्ड-5 निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता परमजीत सिंह ने एसएसपी को पत्र लिखकर पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि ग्राम विजय नगर तृतीय से निर्विरोध बीडीसी चुनी गई महिला प्रत्याशी ने नामांकन के समय जो शैक्षिक प्रमाण पत्र प्रस्तुत किए थे, उनमें हाई स्कूल वर्ष 1992 की मार्कशीट शामिल थी। उस मार्कशीट में अनुक्रमांक 0351855 पर स्टूडेंट का नाम जसविंदर कौर और पिता का नाम दर्ज है।
सत्यापन में निकली बड़ी गड़बड़ी
शिकायत के बाद जब इस अनुक्रमांक का सत्यापन गुरुनानक बालिका इंटर कॉलेज से कराया गया, तो चौंकाने वाला सच सामने आया। वर्ष 1992 में इसी अनुक्रमांक पर दर्ज नाम अमनदीप कौर और पिता का नाम भी अलग पाया गया। प्रधानाचार्य ने भी अपने हस्ताक्षरयुक्त लिखित रिपोर्ट में इस तथ्य की पुष्टि की है।
शिकायतकर्ता का गंभीर आरोप
परमजीत सिंह का कहना है कि इस पूरे फर्जीवाड़े के पीछे निर्वाचित बीडीसी मेंबर के भतीजे मास्टरमाइंड हैं। उन्होंने चुनाव आयोग के नियमों की खुली अवहेलना करते हुए फर्जी दस्तावेज तैयार कर चुनाव जीतने का रास्ता बनाया। शिकायतकर्ता का यह भी कहना है कि यह केवल चुनावी आचार संहिता का उल्लंघन ही नहीं, बल्कि आपराधिक कृत्य भी है, जिसके लिए कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
पुलिस जांच में जुटी
शिकायत पत्र मिलने के बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। सूत्रों के अनुसार, संबंधित दस्तावेज और स्कूल रजिस्टर को जब्त कर उनकी फॉरेंसिक जांच कराई जाएगी। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि दोषी पाए जाने पर संबंधित के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल
यह मामला न केवल पंचायत चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि शैक्षिक प्रमाण पत्रों की सत्यापन प्रक्रिया में कितनी बड़ी चूक हो सकती है। अब देखने वाली बात यह होगी कि जांच पूरी होने पर दोषियों के खिलाफ कितनी सख्त कार्रवाई की जाती है