ख़बर पड़ताल ब्यूरो:- प्रयागराज महाकुंभ में मौनी अमावस्या के स्नान के दौरान भारी भीड़ उमड़ने से झूसी सेक्टर 21 में भगदड़ मच गई। इस हादसे में जौनपुर की 55 वर्षीय चंद्रावती मिश्रा की मौत हो गई। प्रशासन ने शव को बिना पोस्टमार्टम कराए परिजनों को सौंप दिया, जिससे मौत के सही कारणों पर सवाल उठ रहे हैं।
कैसे हुई भगदड़?
जौनपुर के लौंदा गांव से नौ लोग संगम स्नान के लिए प्रयागराज पहुंचे थे। वे सभी झूसी की ओर बढ़ रहे थे कि सुबह 4 बजे अचानक भगदड़ मच गई। इस अफरातफरी में चंद्रावती अपने परिजनों से बिछड़ गईं। बाकी लोगों ने किसी तरह जान बचाई, लेकिन उनकी तलाश शुरू हो गई।
150 से 200 शवों का दावा
परिजन मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज की मोर्चरी पहुंचे तो वहां 150 से 200 शव रखे थे। चंद्रावती के देवर शिवशंकर मिश्रा ने बताया कि 24 अज्ञात शवों की तस्वीरें दीवार पर चिपकाई गई थीं, जिनमें एक तस्वीर उनकी भाभी की भी थी।
बिना पोस्टमार्टम सौंपा शव
अस्पताल प्रशासन ने दावा किया कि सरकार की एडवायजरी के तहत पोस्टमार्टम नहीं किया जा रहा है। परिजनों को ऑनलाइन डेथ सर्टिफिकेट लेने की बात कही गई और शव पुलिस की निगरानी में जौनपुर भेज दिया गया।
सरकार पर गंभीर आरोप
चश्मदीद जैनेन्द्र सिंह ने आरोप लगाया कि वीआईपी पासधारी श्रद्धालुओं को प्राथमिकता दी गई, जिससे आम श्रद्धालु कुचले गए, प्रशासन ने संगम नोज पर भगदड़ की बात मानी, लेकिन झूसी सेक्टर 21 की भगदड़ को नकार रहा है। चश्मदीदों के अनुसार, असली मौत का आंकड़ा छिपाया जा रहा है और हकीकत कुछ और है।
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
परिजनों का कहना है कि अगर कुम्भ में इतनी अव्यवस्था थी, तो पहले से बेहतर प्रबंधन क्यों नहीं किया गया? हादसे के बावजूद प्रशासन मौत के सही आंकड़े बताने से क्यों बच रहा है? इस मामले में अब सरकार से जवाबदेही तय करने की मांग की जा रही है।