ख़बर पड़ताल ब्यूरो:- उत्तर प्रदेश की तरह अब उत्तराखंड में भी अपराधों पर लगाम लगाने के लिए राज्य सरकार ने ठेली-फेरी लगाने वालों का सत्यापन करना अनिवार्य कर दिया है. जिसके तहत भले ही वह व्यक्ति उत्तराखंड निवासी हो या अन्य प्रदेश से आकर यहां पर रोजगार कर रहा हो, उसका सत्यापन किया जाएगा. इस संबंध में शहरी विकास निदेशालय ने आदेश जारी कर दिए हैं…
उत्तराखंड में Floating population अधिक है. यानी अन्य प्रदेशों से आने वाले कई लोग रोजगार की तलाश में यहां पर आते हैं. खासकर हरिद्वार, ऋषिकेश नैनीताल, देहरादून, मसूरी और चारधाम जैसे क्षेत्रों में इनकी संख्या बेहद अधिक है. छोटी-छोटी दुकानों को लगाकर अपना रोजगार चलने वाले यह लोग कम समय के लिए यहां पर आते हैं और कई ऐसे भी हैं, जिन्होंने अब अपना ठिकाना यहीं पर बना लिया है. कई बार कुछ अपराधी किस्म के लोग अपराध भी करते हैं. ऐसे में अब उत्तराखंड सरकार ने ऐसे लोगों पर नकेल करने के लिए सभी का सत्यापन करना अनिवार्य कर दिया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों पर इस संबंध में शहरी विकास निदेशालय की ओर से राज्य के सभी नगर आयुक्त और अधिशासी अधिकारियों को पत्र जारी किया गया है. जिसमें फेरी- ठेला वालों का विवरण जुटाने और पहचान पत्र जारी कर इन्हें अनिवार्य रूप से ठेली/फड़ पर प्रदर्शित करने के निर्देश दिए हैं. पहचान पत्र में फेरी व्यवसायी का कोड, नाम, पता और फोटो अंकित करने के भी निर्देश दिए गए हैं. पत्र में स्पष्ट रूप से निर्देशित किया गया है कि नगर के समस्त फेरी व्यवसायियों को फेरी-ठेली वालों को पहचान पत्र जारी कर अनिवार्य रूप से इसे प्रदर्शित करना होगा।
दून नगर निगम के अनुसार साल 2016 में ठेली और फेरी वालों का सर्वे हुआ था. उस समय सर्वे करने पर 2,758 फेरी और ठेली के संचालकों के लाइसेंस बने थे, लेकिन साल 2016 से अब तक किसी तरह का कोई सर्वे नहीं हुआ है और यह सर्वे हर पांच साल में होना था. साथ ही नगर निगम के अनुसार वर्तमान में सिर्फ करीब 600 फेरी और ठेली के संचालकों का लाइसेंस ही है. वहीं, अगर अनुमान लगाया जाए, तो देहरादून शहर में वर्तमान में करीब 10 हजार से 15 हजार के बीच फेरी और ठेली वाले होंगे।
रिपोर्ट: साक्षी सक्सेना