ख़बर पड़ताल ब्यूरो:- “सुप्रीम कोर्ट ने जंगल की आग से निपटने को लेकर उत्तराखंड सरकार की ओर से उठाए गए कदमों पर असंतोष जाहिर करते हुए कठोर टिप्पणियां की। साथ ही सूबे के मुख्य सचिव को तलब कर लिया। न्यायमूर्ति बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव को 17 मई को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिए। उत्तराखंड सरकार पर कड़ा रुख अपनाते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि उसे यह कहते हुए दुख हो रहा है कि जंगल की आग को काबू करने में राज्य का नजरिया ठीक नहीं था”
उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग के मामले पर बुधवार (15 मई) को सुप्रीम ने सुनवाई करते हुए केंद्र और राज्य सरकार को फटकार लगाई. कोर्ट ने राज्य सरकार को अपर्याप्त धन और वन विभाग के अधिकारियों को लोकसभा चुनाव 2024 की ड्यूटी में लगाए जाने को लेकर उत्तराखंड सरकार की आलोचना की।
कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि उसने जरूरत के मुताबिक फंड राज्य को क्यों नहीं दिया. वहीं, राज्य सरकार की तरफ से फंड का सही इस्तेमाल न किए जाने पर भी सवाल उठाए. इसके साथ ही अदालत ने इस बात की भी आलोचना की कि वन विभाग के अधिकारियों को भी चुनाव ड्यूटी में लगाया गया. कोर्ट ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव से शुक्रवार को व्यक्तिगत रूप से पेश होकर जवाब देने के लिए कहा।
सुप्रीम कोर्ट ने फंड को लेकर की केंद्र सरकार की आलोचना
पहाड़ी राज्य पिछले साल 1 नवंबर से सैकड़ों सक्रिय जंगल की आग से जूझ रहा है, जिससे लगभग 1,145 हेक्टेयर जंगल को नुकसान पहुंचा है. सुप्रीम कोर्ट मई की शुरुआत से उत्तराखंड में जंगल की आग पर याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है. याचिकाओं के मुताबिक राज्य में कम से कम 910 घटनाएं हुई हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इस तथ्य पर भी केंद्र सरकार की आलोचना की कि उत्तराखंड को जंगल की आग से निपटने के लिए 10 करोड़ रुपये की मांग के मुकाबले केवल 3.15 करोड़ रुपये दिए गए थे।
वन विभाग के अधिकारियों की नहीं लगेगी चुनाव में ड्यूटी
अदालत ने कहा, “पर्याप्त धनराशि क्यों नहीं दी गई? आपने वन कर्मचारियों को आग के बीच चुनाव ड्यूटी पर क्यों लगाया है?” पिछली सुनवाई में, आलोचना झेल रहे राज्य ने कहा था कि मतदान केंद्रों पर तैनात वन अधिकारियों को उनके काम पर वापस बुला लिया गया है. राज्य के कानूनी प्रतिनिधि ने आज दोपहर में कहा, “मुख्य सचिव ने हमें निर्देश दिया है कि अब किसी भी वन अधिकारी को चुनाव ड्यूटी पर न लगाया जाए. हम अब आदेश वापस ले लेंगे.”
रिपोर्ट: साक्षी सक्सेना