ख़बर पड़ताल ब्यूरो:- सरकार भले ही स्वास्थ्य व्यवस्था को एलकार बड़े बड़े दावे करले, तारीफे कर ले परंतु सत्य क्या है ये आज सबको पता है, आज भी अगर हम उत्तराखंड की शान पहाड़ों की बात करें तो आज भी हालात बद से बदतर हैं, आज भी ग्रामीणों को आपातकालीन स्थिति में कई किलो मीटर पैदल चलना पड़ता है इसी के चलते बहुत से लोगों को अपनी जान गवानी पड़ती है, एक ऐसा ही दिल पसीज देने वाला मामला सामने आया है…
बता दें की बागेश्वर जिले के कपकोट के सोराग गांव से सामने आया है जहां गांव के लिए सड़क तो बनी, लेकिन वाहन संचालन लायक नहीं है। इसी के चलते एक गर्भवती की जान पर बन आई। क्षेत्र के लोगों ने गर्भवती को करीब 11 किमी पैदल दूर तक स्ट्रेचर पर रखकर लाए और अस्पताल पहुंचाया लेकिन तब तक गर्भस्थ शिशु की मौत हो चुकी थी।
सोराग निवासी प्रवीन सिंह की पत्नी रेखा देवी (28) को बृहस्पतिवार से प्रसव पीड़ा हो रही थी। तबीयत बिगड़ने पर गांव के लोगों ने शुक्रवार को स्ट्रेचर से गर्भवती को 11 किमी दूर उंगियां पहुंचाया। वहां से वाहन के जरिये कपकोट सीएचसी लाए। कपकोट सीएचसी से गर्भवती को जिला अस्पताल रेफर कर दिया। तब तक गर्भस्थ शिशु की पेट में ही मौत हो गई थी। गनीमत रही कि अस्पताल पहुंचने से प्रसूता की जान बच गई।
सोराग के सामाजिक कार्यकर्ता दिनेश सोरागी ने बताया कि उंगियां से सोराग के लिए सड़क बनी हुई है लेकिन यातायात शुरू होने से पहले ही सड़क कई स्थानों पर क्षतिग्रस्त हो गई। सड़क का कोई लाभ गांव के लोगों को नहीं मिल पा रहा है। गर्भवती महिला को स्ट्रेचर से लाने वाले केशर सिंह, बचन सिंह, दयाल सिंह, खिलाफ सिंह, चामू सिंह का कहना है कि सड़क के निर्माण में गंभीर अनियमितता हुई है। गांव के लोगों को आए दिन इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है। सड़क पर करोड़ों खर्च होने के बाद भी यातायात सुविधा का लाभ न मिलना गंभीर मामला तो है ही, जनता के साथ अन्याय भी है।
कपकोट के विधायक सुरेश गढि़या ने कहा की सोराग को जाने वाली सड़क भूस्खलन के कारण भी क्षतिग्रस्त हुई है। उच्च स्तरीय भूगर्भीय जांच के लिए शासन को लिखा गया है। जांच के बाद सड़क दुरुस्त कराई जाएगी।
रिपोर्ट: साक्षी सक्सेना