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पुलिस का कारनामा” नाम के आधार पर महिला को भेजा जेल, 4 दिन बाद छोड़ा।

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ख़बर पड़ताल ब्यूरो:- उत्तर प्रदेश के बरेली जिले से एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है, जहां पुलिस की एक बड़ी लापरवाही ने एक निर्दोष महिला को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। सिर्फ नाम के आधार पर की गई इस गिरफ्तारी ने न सिर्फ कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि मानवाधिकारों के हनन की भी एक बड़ी मिसाल पेश की है।

यह मामला है बरेली के सीबीगंज थाना क्षेत्र के बंडिया गांव का, जहां 2020 में बिजली चोरी के एक केस में एक महिला मुन्नी पत्नी छोटे के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी हुआ था। इस वारंट की तामील के लिए परसाखेड़ा पुलिस चौकी के प्रभारी सौरभ यादव गांव पहुंचे, लेकिन बिना जांच-पड़ताल किए उन्होंने मुन्नी देवी पत्नी जानकी प्रसाद को गिरफ्तार कर लिया—सिर्फ इसलिए क्योंकि उनका नाम भी मुन्नी था।

13 अप्रैल को मुन्नी देवी को जेल भेजा गया, और चार दिन बाद—17 अप्रैल को—उन्हें रिहा किया गया, जब पुलिस को अपनी गलती का एहसास हुआ। इस दौरान पुलिस ने न केवल माफी मांगी, बल्कि परिवार को धमकी भी दी कि अगर मीडिया से बात की तो दोबारा जेल भेज दिया जाएगा।

मुन्नी देवी:

“मैंने बार-बार कहा कि मैं मुन्नी देवी हूं, वो मुन्नी नहीं जिसे आप ढूंढ रहे हैं। लेकिन किसी ने मेरी एक न सुनी। चार दिन तक मैं जेल में रही, बहुत डर गई थी।”

इस घटना ने पुलिस के ‘गुड वर्क’ के दबाव में किए जा रहे लापरवाह कदमों को उजागर किया है। सिर्फ एक नाम के आधार पर गिरफ्तारी, बिना सत्यापन, न सिर्फ गलत है बल्कि संविधान और मानवाधिकार दोनों के खिलाफ है।

अब असली आरोपी की तलाश जारी है, लेकिन सवाल यह है—क्या इस तरह की लापरवाहियां भविष्य में नहीं होंगी? और क्या पीड़ित महिला को न्याय और मुआवजा मिलेगा?

इस मामले ने एक बार फिर साबित किया है कि कानून के रखवालों को अपनी जिम्मेदारी निभाने में और अधिक संवेदनशीलता और सतर्कता दिखाने की जरूरत है। आगे देखना होगा कि इस लापरवाही के लिए संबंधित पुलिसकर्मी के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है।


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