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“बेटी को सचिवालय में ARO के पद पर नौकरी दिलाने का झांसा, IAS अफसरों के नाम का इस्तेमाल; पैसे वापस मांगने पर लॉरेंस बिश्नोई से हत्या से करवाने की धमकी; जानें पूरा मामला।

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ख़बर पड़ताल ब्यूरो:- राजधानी से ठगी का बड़ा मामला सामने आया है जहां ठगों ने एक व्यक्ति की बेटी को सचिवालय में ARO के पद पर नौकरी दिलाने का झांसा दिया. इसके लिए जालसाज ने सचिव संसदीय कार्य मंत्रालय और सचिव विधानसभा के नाम का इस्तेमाल किया. इतना ही नहीं जालसाजों ने पीड़ित के जरिए और भी लोगों से नौकरी दिलाने के नाम पर लाखों रुपये वसूले…

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ राजधानी में ठगों ने एक व्यक्ति की बेटी को सचिवालय में ARO के पद पर नौकरी दिलाने का झांसा दिया. इसके लिए जालसाज ने सचिव संसदीय कार्य मंत्रालय और सचिव विधानसभा के नाम का इस्तेमाल किया. इतना ही नहीं जालसाजों ने पीड़ित के जरिए और भी लोगों से नौकरी दिलाने के नाम पर लाखों रुपये वसूले. जब नौकरी नहीं मिली तो पैसे वापस मांगने पर जालसाज गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के नाम की धमकी दे रहा है. पीड़ित ने हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज कराई है।

प्रयागराज के रहने वाले अजय कुमार मिश्रा के मुताबिक उनके दोस्त के जरिए उनकी मुलाकात आलोक यादव नाम के एक व्यक्ति से हुई थी. उसने बताया कि उसके संबंध सचिव, संसदीय कार्य मंत्रालय से हैं और वह उनकी बेटी की सचिवालय में ARO के पद पर स्थाई नौकरी लगवा सकते हैं. इसके कुछ दिनों बाद आरोपी अलोक यादव ने पीड़ित अजय कुमार को कॉल कर प्रयागराज से लखनऊ विधानसभा के पास बुलाया और उनकी फोन पर एक शख्स से बात कराई गई. बताया गया कि फोन पर सचिव हैं. इस दौरान पीड़ित से नौकरी दिलाने के एवज में 20 लाख रुपए की डिमांड की गई. एडवांस में तीन लाख रुपए मांगे गए. साथ ही आठ माह में ज्वाइनिंग लेटर देने की बात कही. पीड़ित के मुताबिक उसने दस हजार रुपए आलोक यादव और बाकी के सचिवालय में चपरासी बताए गए गुलशाद के बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिए।

पीड़ित अजय कुमार के मुताबिक इसी बीच कथित सचिव ने उन्हें फोन कर कहा कि यदि वो पांच और कैंडीडेट नौकरी के लिए देते हैं तो उनकी बेटी की नौकरी के लिए लगने वाले पैसों में कुछ छूट दे दी जाएगी. ऐसे में उन्होंने अपने रिश्तेदारों से बात कर कैंडिडेट दे दिए. काफी समय बीतने पर जब नौकरी नहीं लगी तो उन्होंने आलोक को कॉल की, तब उन्हें बताया गया कि चार बच्चों की नौकरी का काम हो गया है. लखनऊ आकर खुद देख लीजिए. लखनऊ आने पर उन्हें नियुक्ति पत्र दिखाए गए. कहा गया कि जल्द ही उनके घर पर सरकारी पोस्ट से नियुक्ति पत्र भेज दिए जाएंगे. काफी समय बीतने के बाद भी उनके घर नियुक्ति पत्र नहीं पहुंचा तो उन्होंने फिर से आलोक यादव को कॉल की।

शिकायतकर्ता अजय कुमार मिश्रा ने बताया कि, जब उन्होंने अपने नियुक्ति पत्र न दिए जाने की बात कही तो उन्हें फिर से लखनऊ बुलाया गया और उनकी बात यह कहकर कराई गई कि फोन पर प्रमुख सचिव विधान सभा प्रदीप दुबे हैं. जिसके बाद उन्हें थोड़ा भरोसा हो गया. इसी दौरान कथित सचिव ने अजय कुमार को बताया कि उनका बार भी है और इसकी ब्रांच खोलनी हैं, ऐसे में उनके साथ पार्टनर बन जाइए. जिसके बाद उनकी फर्म बनवाई गई और सचिव आबकारी सुंदरम उपाध्याय से बात कराकर साढ़े चार लाख रुपए ट्रांसफर करा लिए गए. अब वे अपने और अन्य कैंडिडेट्स के पैसे वापस मांग रहे हैं तो आलोक यादव धमकी दे रहा है कि कथित सचिव के संबंध लॉरेंस बिश्नोई और राजपूत गैंग से हैं. शांत हो जाओ नहीं तो मरवा दिए जाओगे. हजरतगंज इंस्पेक्टर विक्रम सिंह ने बताया कि, एफआईआर दर्ज कर की गई है, जांच की जा रही है।

रिपोर्ट: साक्षी सक्सेना 


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