ख़बर पड़ताल ब्यूरो:- उत्तराखंड से वरिष्ठ भाजपा नेता और महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखा है. पत्र के जरिए उन्होंने सीएम धामी से अपील की है…
कुमाऊं में हाईकोर्ट ही एकमात्र बड़ा संस्थान बचा हुआ है, उसे भी यहां से ले जाने की कोशिश की जा रही है, जबकि राज्य गठन के समय स्पष्ट था कि गढ़वाल में राजधानी रहेगी तो कुमाऊं में हाईकोर्ट। अब इस मामले को लेकर कुमाऊं में विरोध होने लगा है। वहीं, अब पूर्व राज्यपाल व पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी ने उत्तराखंड हाईकोर्ट को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर धामी को पत्र लिखा है। जिसमें भगत सिंह कोश्यारी ने बिंदुवार अपनी राय रख सीएम धामी को अवगत कराया है।
पत्र में उन्होंने हाईकोर्ट के लिए जनमत संग्रह जैसी प्रथा से बचने का भी सुझाव दिया है। कहा है कि यदि ऐसा हुआ तो भविष्य में इसके दुरूपयोग की संभावनाएं बढ़ जाएंगी।
कोश्यारी ने हाईकोर्ट को शिफ्ट करने के मुद्दे पर 13 मई को सीएम धामी को पत्र भेजने की पुष्टि की। पत्र में कहा है कि हाईकोर्ट ने उच्च न्यायालय को नैनीताल से अन्यत्र स्थानांतरित करने के लिए नए स्थान खोजने के निर्देश दिए हैं। कहा है कि राज्य बनाते समय विचार विमर्श के बाद देहरादून को तात्कालिक राजधानी और नैनीताल में उच्च न्यायालय बनाने का निर्णय लिया गया। नैनीताल में अंग्रेजों के समय से ही राजभवन, सचिवालय आदि बनाए गए हैं, यह उत्तर प्रदेश की गर्मियों की राजधानी के रूप में भी प्रयुक्त होता रहा है किंतु नए राज्य में नैनीताल को राजधानी बनाने से मंत्रियों, विशिष्ट जनों की अधिकता से स्थानीय पर्यटन व जनजीवन को बाधा पहुंचने की संभावना को देखते हुए यहां क्षेत्रीय संतुलन को ध्यान में रखकर हाईकोर्ट की स्थापना की गई।
पत्र में कहा गया है कि जहां तक नैनीताल हाईकोर्ट को अन्यत्र शिफ्ट करने का प्रश्न है, उनकी जानकारी के अनुसार प्रदेश सरकार इससे पहले से ही सहमत है। यह भी कहा है कि उच्च न्यायालय ने अपने निर्देश में स्वयं कहा है कि (निर्देश संख्या 13 एवं 14 डी) हाईकोर्ट की फुल बैंच ने गौलापार हल्द्वानी में कोर्ट को स्थापित करने की प्रक्रिया पर सहमति दी थी।
वैकल्पिक स्थान खोजने से निर्देश से फैलेगा असंतोष
कोश्यारी की ओर से सीएम को भेजे पत्र के बिंदु संख्या छह में कहा है कि शासन प्रशासन ने इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए गौलापार में लगभग 26 बीघा जमीन का चयन कर वन विभाग से अनापत्ति के लिए प्रक्रिया पूरी कर ली है तथा केंद्रीय वन एवं पर्यावरण विभाग से इस पर विचार कर 26 बीघा जमीन को अधिक बताते हुए इसे कुछ कम करने के लिए प्रदेश सरकार को निर्देशित किया गया है। इसमें क्षतिपूर्ति के लिए वन विभाग ने अन्यत्र वन लगाने के लिए जमीन का भी चयन कर लिया है। कोश्यारी का कहना है कि अब ऐसे में अन्यत्र वैकल्पिक स्थान ढूंढने के लिए दिए गए निर्देश से क्षेत्र में असंतोष फैलने की संभावना से नकारा नहीं जा सकता है। कहा है कि उक्त प्रस्तावित स्थान अभिलेखों में रौखड़ के रूप में दर्शाया गया है और उक्त स्थान पर अधिकांश पेड़ केवल चार से छह इंच मोटाई के ही हैं।
केंद्र सरकार या सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से निकाला जाए समाधान
सीएम को भेजे पत्र में कोश्यारी ने कहा है कि न्यायालय ने अपने आदेश में स्वयं ही सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का हवाला देते हुए कहा है कि अधिवक्ताओं को वर्चुअल या आन लाइन बहस करने का अभ्यास डालना चाहिए। कहा है कि गौलापार में हाईकोर्ट बन जाने से हल्द्वानी में सभी प्रकार की सरकारी और निजी अस्पतालों के माध्यम से चिकित्सा की उचित सुविधा उपलब्ध हो जाएगी और यहां से हवाई अड्डा तक 20-25 मिनट में पहुंचा जा सकता है। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि इस संबंध में शासन की ओर से केंद्र सरकार या सर्वोच्च न्यायालय के माध्यम से शीघ्र समस्या का समाधान निकाला जाए।