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Big News” बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामले में बुरे फंसे” हरिद्वार सीजेएम कोर्ट ने जारी किया समन; पढ़िए पूरी ख़बर…

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ख़बर पड़ताल ब्यूरो:- बाबा रामदेव और आचार्य बाल कृष्ण की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही है। बता दें की पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामले में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है. सुप्रीम कोर्ट से फटकार के बाद पतंजलि की दिव्य फार्मेसी कंपनी के 14 प्रोडक्ट्स के लाइसेंस रद्द किए जा चुके हैं. अब हरिद्वार सीजेएम कोर्ट ने भी बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को दोबारा समन भेजा है…

पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामले में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण मुश्किलों में घिरते जा रहे हैं. इस बार हरिद्वार के सीजेएम कोर्ट ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को दोबारा समन जारी किया है. यह समन भ्रामक विज्ञापन को लेकर दायर वाद में अदालत में हाजिर न होने पर जारी किया है. अब पूरे मामले में आगामी 9 जून को सुनवाई होगी.

 

गौर हो कि सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि दवाओं के भ्रामक विज्ञापन पर कार्रवाई न करने पर उत्तराखंड के आयुर्वेद एवं यूनानी विभाग को फटकार लगाई थी. जिसके बाद विभाग के लाइसेंस प्राधिकरण ने बाबा रामदेव की फार्मेसी की 14 प्रोडक्ट्स के लाइसेंस निलंबित कर निर्माण पर रोक लगा दी थी. साथ ही जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी ने भ्रामक विज्ञापनों को लेकर दिव्य फार्मेसी व पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के खिलाफ हरिद्वार के मुख्य न्यायाधीश मजिस्ट्रेट राहुल कुमार श्रीवास्तव के कोर्ट में वाद भी दायर किया था. ऐसे में भ्रामक विज्ञापन से जुड़े दायर वाद में हरिद्वार के सीजेएम कोर्ट ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण पेश नहीं हुए, जिस पर कोर्ट ने दोबारे से उन्हें समन भेजा है.

 

प्रारंभिक सुनवाई करने के बाद कोर्ट ने बाबा रामदेव और उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण को 10 मई को कोर्ट में तलब किया था. इस दौरान जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी कोर्ट में पेश हुए, लेकिन योगगुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण कोर्ट ही नहीं पहुंचे. सहायक अभियोजन अधिकारी देवमणि पांडे ने बताया कि विपक्षीगण बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण आदि को कोर्ट में हाजिर होने के लिए परिवाद पत्र की प्रतिलिपि के साथ दोबारा समन जारी किया गया है.

 

दरअसल, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने भी इस मामले को लेकर याचिका दायर की हुई है. जिस पर सुप्रीम कोर्ट यानी सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई चल रही है. आईएमए का तर्क है कि पतंजलि ने आयुर्वेदिक दवाओं से कुछ बीमारियों के इलाज का भ्रामक दावा किया है. ये दावे ड्रग्स एंड अदर मैजिक रेमेडीज एक्ट 1954 (Drugs And Other Magic Remedies Act) और कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 (Consumer Protection Act 2019) का सीधा उल्लंघन है. कोर्ट ने इस मामले में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को सार्वजनिक रूप से माफी मांगने को कहा था।

वहीं, उत्तराखंड के औषधि अनुज्ञापन अधिकारी को भी कड़ी फटकार लगाई थी. कोर्ट के सख्त रुख के बाद अब उत्तराखंड का आयुर्वेद एवं यूनानी विभाग भी हरकत में है. बाबा रामदेव की फार्मेसी की बीपी, मधुमेह, घेंघा, ग्लूकोमा, उच्च कोलेस्ट्रॉल आदि की 14 दवाओं के निर्माण पर रोक लगाई गई है. साथ ही भ्रामक विज्ञापनों को लेकर हरिद्वार सीजेएम कोर्ट में जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी ने वाद भी दायर की है।


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