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*”फर्जी IPS बनकर अधिकारियों को दिखाता था रौब” चालाकी पड़ गई भारी हो गया गिरफ्तार; जानें पूरा मामला।*

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ख़बर पड़ताल ब्यूरो:- गाजियाबाद पुलिस कमिश्नरेट ने खुद को आईपीएस अधिकारी बताने वाले और गृह मंत्रालय व इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) से जुड़े होने का दावा करने वाले अनिल कटियाल को गिरफ्तार किया है। उनके साथ उनके सहयोगी विनोद कपूर को भी गिरफ्तार किया गया है। यह गिरफ्तारी उस समय हुई जब अनिल कटियाल, गाजियाबाद पुलिस पर दबाव बनाने और वरिष्ठ अधिकारियों को धमकाने की कोशिश कर रहे थे।

पुलिस के मुताबिक, विनोद कपूर के खिलाफ इंदिरापुरम थाने में एक एफआईआर दर्ज की गई थी। इस मामले में अनिल कटियाल पुलिस अधिकारियों पर दबाव बना रहे थे और खुद को गृह मंत्रालय का वरिष्ठ अधिकारी बताते हुए अधिकारियों को धमका रहे थे। उन्होंने दावा किया कि वे पहले आईबी में काम कर चुके हैं।

कटियाल ने पुलिस को धमकी देते हुए कहा कि अगर एफआईआर हटाई नहीं गई, तो वे अधिकारियों के खिलाफ उल्टे मुकदमे दर्ज करवा देंगे। उन्होंने पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को धमकाने का भी प्रयास किया।

गिरफ्तारी के दौरान पुलिस ने अनिल कटियाल के फोन से कुछ दस्तावेज जब्त किए, जिनसे पता चला कि वे दिल्ली और हरियाणा के अधिकारियों को भी धमकाते रहे हैं।

गाजियाबाद पुलिस को उनके फोन से फर्जी दस्तावेज और सबूत मिले हैं, जिनसे पता चलता है कि वे लंबे समय से इस तरह की गतिविधियों में लिप्त थे।

अनिल कटियाल ने खुद को 1979 बैच का आईपीएस अधिकारी बताया था।

वे गाजियाबाद पुलिस पर प्रभाव डालने के लिए गृह मंत्रालय से जुड़े होने का झूठा दावा कर रहे थे।

उनके पास से जब्त दस्तावेजों में अन्य अधिकारियों को धमकाने के सबूत भी मिले हैं।

अनिल कटियाल दिल्ली के निवासी हैं और उनके प्रोफाइल को देखकर वे एक अच्छे बैकग्राउंड से आते हुए प्रतीत होते हैं।

विनोद कपूर, जिनके खिलाफ एफआईआर दर्ज है, अनिल कटियाल के सहयोगी बताए जा रहे हैं। दोनों पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी पहचान और सरकारी पदों का दुरुपयोग कर अधिकारियों पर दबाव बनाने की कोशिश की।

गाजियाबाद पुलिस अब इस पूरे मामले की गहनता से जांच कर रही है। पुलिस यह पता लगाने का प्रयास कर रही है कि दोनों कितने समय से इस प्रकार के फर्जीवाड़े में संलिप्त थे और किन-किन व्यक्तियों को ठगा गया।

गाजियाबाद पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि अगर कोई खुद को सरकारी अधिकारी बताकर दबाव बनाने या ठगी करने का प्रयास करे, तो तुरंत पुलिस को सूचित करें।

यह मामला एक बार फिर यह साबित करता है कि फर्जी पहचान और धोखाधड़ी के जरिये सरकारी तंत्र को प्रभावित करने वाले अपराधियों पर सख्त कार्रवाई आवश्यक है।


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