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*जानिए क्या है वजह जो 90 प्रतिशत मुस्लिम आबादी वाले इस देश ने हिजाब पर लगा दिया बैन, कानून तोड़ा तो लगेगा भारी जुर्माना।*

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ख़बर पड़ताल ब्यूरो:- ताजिकिस्तान में अब हिजाब पर आधिकारिक रोक लग गई है। ताजिकिस्तान की संसद में ये फैसला लिया गया। बता दें कि इस कानून का पालन न करने पर भारी जुर्माना भरना पड़ सकता है। ये कदम देश में धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है। वहीं 2015 में भी राष्ट्रपति इमोमाली रहमान ने हिजाब के खिलाफ आंदोलन भी चलाया था…

धार्मिक परिधानों पर कई साल तक अनौपचारिक रूप से प्रतिबंध लगाने के बाद ताजिकिस्तान सरकार ने देश में हिजाब पहनने पर औपचारिक रूप से प्रतिबंध लगा दिया है. यह विधेयक संसद के निचले सदन (मजलिसी नमोयंदागोन) ने 8 मई को पारित किया था और ईद के बाद 19 जून को ऊपरी सदन (मजलिसी मिल्ली) ने अप्रूव किया था, अब सवाल यह है कि राष्ट्रपति इमोमाली राहमोन ऐसे देश में परिधान पर प्रतिबंध क्यों लगाना चाहते हैं, जहां लगभग 90% आबादी मुस्लिम है? दरअसल, रहमोन का मानना है कि हिजाब ‘विदेशी परिधान’ है।

ताजिकी संस्कृति को बढ़ावा देने की कोशिश

हिजाब पर प्रतिबंध राष्ट्रपति राहमोन द्वारा उठाए गए कदमों की सीरीज का ताजा कदम है, जो एक धर्मनिरपेक्ष सरकार का नेतृत्व करते हैं, जिसका उद्देश्य ‘ताजिकी’ संस्कृति को बढ़ावा देना और सार्वजनिक धार्मिकता की दृश्यता को कम करना है. यह उनकी राजनीति और सत्ता पर पकड़ से गहराई से जुड़ा हुआ है, बता दें कि राहमोन 1994 से देश के राष्ट्रपति के रूप में कार्यरत हैं. अपने करियर की शुरुआत में वे धार्मिक राजनीतिक दलों के खिलाफ खड़े थे. उन्होंने तत्कालीन सोवियत समाजवादी गणराज्य ताजिकिस्तान के लोगों के डिप्टी के रूप में कार्य किया, जो उस समय यूएसएसआर का एक घटक राज्य था. 1991 में सोवियत संघ के पतन के बाद देश ने सोवियत समर्थकों (राहमोन इस समूह का हिस्सा थे) और जातीय-धार्मिक कबीलों के बीच गृहयुद्ध देखा, जिन्होंने संयुक्त ताजिक विपक्ष का गठन किया।

धर्म-आधारित राजनीतिक दलों पर बैन

पिछले दशकों में उन्होंने अपने अधिकार को मजबूत करने के लिए देश के संविधान में कई बदलाव किए. उन्होंने उन धर्म-आधारित राजनीतिक दलों पर भी प्रतिबंध लगा दिया है जो उनकी पार्टी को चुनौती दे सकते हैं, राष्ट्रपति राहमोन ने 2015 में हिजाब के खिलाफ अपना अभियान शुरू किया था. 2024 में, उन्होंने इस मुद्दे पर जोर देते हुए कहा कि कपड़ों में जेनोफोबिया (अजनबियों या विदेशियों से डरना) और हिजाब के साथ विदेशी कपड़े पहनना, हमारे समाज के लिए एक और दबावपूर्ण मुद्दा है।

महिलाओं से ताजिक पोशाक पहनने का आग्रह

इतना ही नहीं 2017 में सरकार ने स्वचालित फोन कॉल करके महिलाओं से ताजिक पोशाक पहनने का आग्रह किया था. इसके साल एक साल बाद सरकार ने महिलाओं के लिए उपयुक्त कपड़ों पर 376- पेज की पुस्तिका जारी की थी।

क्या कहता है नया कानून ?

मौजूदा कानून छुट्टियों और समारोहों के विनियमन में संशोधन करता है और राष्ट्रीय संस्कृति के लिए विदेशी माने जाने वाले कपड़ों के आयात, बिक्री, प्रचार और पहनने पर रोक लगाता है. इन बदलावों का मुख्य कारण हिजाब, स्कार्फ और इस्लाम से जुड़े अन्य परिधानों पर प्रतिबंध है, रेडियो लिबर्टी के अनुसार कानून का उल्लंघन करने पर 7,920 सोमोनी (747 डॉलर) से लेकर 39,500 सोमोनी (3,724 डॉलर) तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. यह विधेयक ईद और नवरोज के दौरान बच्चों को पैसे देने की प्रथा पर भी प्रतिबंध लगाता है।


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