एक अस्पताल में महिला ने टॉयलेट में ही बच्चे को जन्म दिया, लेकिन डॉक्टर्स और कर्मचारी के उस समय पैरो तले जमीन खिसक गई जब महिला एचआईवी पॉजिटिव निकल गई, आपको पूरा मामला बताते हैं…👇
दरअसल ये मामला मध्य प्रदेश के शाजापुर के अस्पताल में है, जहां मरीजों के इलाज में लापरवाही के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे, अब यहां भर्ती एक एचआईवी पीड़ित महिला की डिलीवरी शौचालय में हो गई। आनन फानन में महिला और बच्चे को वार्ड में ले जाया गया, जांच में पता चला कि महिला एचआईवी पॉजिटिव है। चूंकि भर्ती करते समय महिला की जांच नहीं हुई थी, ऐसे में महिला को सामान्य मरीजों की तरह इलाज किया जा रहा था। वहीं, जैसे ही पता चला कि महिला एचआईवी पीड़ित है तो स्वास्थ्य कर्मी व अन्य मरीज भी दहशत में आ गए।
जानकारी के मुताबिक प्रसव के लिए अस्पताल पहुंची महिला को बिना जांच किए ही वार्ड में भर्ती कर लिया गया था, सामान्य मरीजों की तरह उसका इलाज भी शुरू कर दिया गया। उस समय तक डॉक्टर व स्टाफ को पता ही नहीं था कि महिला एचआईवी पीड़ित है. ऐसे में उस महिला के इलाज में जरूरी सावधानी भी नहीं बरती गई। इधर, महिला शौच के लिए टॉयलेट गई और वहीं पर उसकी डिलीवरी हो गई. इसके बाद महिला और बच्चे की जांच कराई गई. इसमें पता चला कि वह एचआईवी पॉजिटिव हैं. यह जानकार इलाज के दौरान इस महिला के संपर्क में आए डॉक्टर, स्वास्थ्यकर्मी व अन्य लोग दहशत में आ गए।
जिला अस्पताल आरएमओ डॉ. सचिन नायक ने बताया कि महिला को ट्रामा सेंटर के मेटरनिटी वार्ड में भर्ती किया गया था. लेकिन वह अपने बेड पर रूकने के बजाय पुरानी बिल्डिंग की ओर चली गई. इसी दौरान शौचालय में उसकी डिलेवरी हुई है् उन्होंने बताया कि डिलीवरी के बाद पता चला है कि महिला एचआईवी पीड़ित है. ऐसे में महिला और शिशु को अलग वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है. अब इस महिला का इलाज एचआईवी प्रोटोकाल अनुसार किया जा रहा है. इसी के साथ इलाज के दौरान महिला के संपर्क में आए डाक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों को एचआईवी संक्रमण से सुरक्षा के लिए टीकाकरण कराया जा रहा है।
शाजापुर के इस जिला चिकित्सालय में लापरवाही का यह कोई पहला मामला नहीं है. यहां अनियमिताओं का अंबार लगा है. कुछ दिन पहले ही यहां शौचालय में ताले डाल दिए गए थे. वहीं ट्रामा सेंटर को बने हुए लगभग 4 साल हो गए, लेकिन अब तक इसमें लगी लिफ्ट चालू नहीं हो सकी है. ऐसे हालात में गर्भवती महिलाओं को इलाज के लिए सीढ़ियों पर चढ़ कर दूसरी मंजिल तक जाना होता है. यही नहीं, इस अस्पताल में ऑपरेशन थिएटर ट्रॉमा सेंटर में है, लेकिन एक्सरे और अल्ट्रासाउंड की मशीन में पुरानी बिल्डिंग में है. ऐसे में मरीजों को जरूरी जांच के लिए नई और पुरानी बिल्डिंग के चक्कर काटने होते हैं।
रिपोर्ट: साक्षी सक्सेना